खाद्यान्न एवं दलहनी फसलों पर कातरा कीट के प्रकोप से बचाव के उपाय
Mohit Jain
खाद्यान्न एवं दलहनी फसलों पर कातरा कीट के प्रकोप से बचाव के उपाय
अजमेर : 17 जुलाई 2025
खरीफ सीजन में जिले में किसानो द्वारा लगभग 3.77 लाख हैक्टर क्षेत्रफल में विभिन्न फसलो की बुवाई कार्य किया जा चूका है। इसमे से मुख्य फसलें ज्वार 142368 हैक्टर, बाजरा 62159 हैक्टर, मक्का 10779 हैक्टर, मूंग 92838 हैक्टर, उड़द 28048 तिल 5105 हैक्टर, मूंगफली 2545 हैक्टर,ग्वार 16277 हैक्टर, कपास 4679 हैक्टर एवं हरा चारा 3011 हैक्टर क्षेत्र में इन फसलो की बुवाई कार्य होने के साथ-साथ फसलो की बढ़वार भी होने लगी है। वर्तमान में मौसम में नमी व बादलंों के कारण फसलो में रोग एवं कीटो का प्रकोप होने की संभावना है। इसमे मुख्य रूप से कातरा कीट का प्रकोप खाद्यान्न एवं दलहनी फसलो में हो सकता है।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक संजय तनेजा ने बताया कि मानसून की वर्षा होते ही कातरे के पतंगों का जमींन से निकलना शुरू हो जाता है। पतंगों को समय पर नष्ट कर दिया जाये तो फसलो में कातरे की लट के प्रकोप को कम किया जा सकता है। कातरा कीट शिशु अवस्था में पत्ती की निचली सतह को खुरेचते है। बाद में पत्तो के टूटे हुए धब्बे पतले पपीते के समान दिखाई देते है। पूरी तरह से विकसित लार्वा पुरे पत्ते, फूल और बढ़ाते फलो को खा जाते हैं।
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कृषि अधिकारी पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि कातरे कीट नियंत्रण के उपाय की यांत्रिक विधि में अंडो को संग्रह कर तथा लार्वा को हाथ से चुनकर एवं लाईट ट्रेप का प्रयोग करके व्यस्क पतंगों को नष्ट किया जाता है। बंजर जमीन या चारागाह में उगे जंगली पौधों अथवा खरपतवारांे से खेतो की फसलो में लट के आगमन को रोकने के लिए उनके गमन की दिशां में खाईया खोदकर इनके प्रकोप को रोका जा सकता है। इसी प्रकार रासायनिक विधि में कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर ईटीएल से अधिक होने पर रासायनिक दवाओ का प्रयोग किया जा सकता है। इनकी प्रथम एवं द्वितीय अवस्था के नियंत्रण के लिए क्युनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टर की दर से भुरकाव करना होता है। पानी की उपलब्धता होने पर क्युनालफॉस 25 ई.सी. 625 मिलीलीटर या क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. एक लीटर प्रति हेक्टर की दर से छिडकाव कर किसान कीट के प्रकोप से फसलो को बचा सकते है।