Marudhara Today

वसुंधरा फैक्टर बीजेपी को भारी पड़ा…!

अजमेर : 04 जून 2024
(मोहित जैन)

राजस्थान में 25 की 25 सीटें जीतने के दावें की निकली हवा

एक्जिट पोल के अनुमान से शेयर बाजार झूम गया था लेकिन आज सुबह शुरुआती रुझानों में शेयर बाजार में निवेशकों के लाखो करोड़ रुपए डूब गए, सभी चैनलों के एक्जिट पोल थोथे और हवा हवाई साबित हुए। राजस्थान में बीजेपी ने 14 सीट तो कांग्रेस गठबंधन में 11 सीटो पर जीत दर्ज कराई।

कांग्रेस से आयातित नेताओ से बीजेपी का एक धड़ा नाराज था :-
– राजस्थान में 25 की 25 सीटें जीतने के दावों की पोल खुल गई है, भाजपा की अंद्धरूनी कलेह और कांग्रेस आयातीत नेताओं की बाडेबंदी अपने खेमें में करना बीजेपी को भारी पड गया, महेन्द्रजीत सिंह मालवीय कांग्रेस का दामन छोडकर भाजपा में शामिल हुए और उन्हें बीजेपी ने बांसवाडा डूंगरपुर से अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा दिया था और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छोडकर बीजेपी में शामिल हुई ज्योति मिर्धा को विधानसभा व लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याषी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा था, यह दोनों ही नेता चुनाव हार गए। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस से भर्ती किए हुए नेताओं के बीजेपी ज्वाईनिंग से बीजेपी का एक धडा काफी नाराज था। इनका कहना था कि मूल कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर बाहरी लोगों को लाकर टिकट देना कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय है।
– कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्योति मिर्धा को आरएलपी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने शिकस्त दी 2019 के चुनाव में भी बेनीवाल ने ज्योति मिर्धा को हराया था 2019 के चुनाव में हनुमान बेनीवाल एनडीए के साथ थे तो ज्योति मिर्धा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थी। कांग्रेस राज में मंत्री रहे महेंद्रजीत सिंह मालविया भी टिकट की चाहत और सत्ता की मलाई का स्वाद चखने बीजेपी में आए थे लेकिन नेताजी की विधायकी भी गई और सांसद का चुनाव भी बांसवाड़ा से बाप प्रत्याशी राजकुमार रोत से चुनाव के हार का मुंह देखना पड़ा।

डोटासरा “सुपर डुपर” साबित हुए :-

 


चुनावी सभाओं में तेजल सुपर डुपर सॉन्ग पर पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने जमकर ठुमके लगाए थे, डोटासरा की कुशल रणनीति के चलते राजस्थान में इंडिया गठबंधन के लिए कम्युनिस्ट, बाप पार्टी से गठबंधन कर कांग्रेस के जीत के दरवाजे खोल दिए कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान में पिछले 2 चुनावो में एक भी लोकसभा सीट नहीं जीती थी लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी ने 11 सीटो पर बढ़त बना कर सबको चौंका दिया।

मुख्यमंत्री भजनलाल के गृह क्षेत्र से बीजेपी का सूपड़ा :-


राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले भरतपुर में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा यन्हा कांग्रेस को संजना जाटव ने बीजेपी के रामस्वरूप कोली को हराया, इसके साथ भी पूर्वी राजस्थान में बीजेपी का प्रदर्शन शर्मनाक रहा धौलपुर सीट पर कांग्रेस के भजनलाल जाटव जीते इस जगह बीजेपी ने वसुंधरा राजे के समर्थक मनोज राजौरिया का टिकट काटा कर इंदू देवी को दिया था, दौसा सीट पर कांग्रेस के मुरारीलाल मीणा जीते तो टोंक सवाई माधोपुर सीट से कांग्रेस के हरीशचंद मीणा ने बीजेपी के सुखबीर सिंह जौनपुरिया को हराया।

चुरू से बगावत की शुरुआत :-

बीजेपी के सिटिंग सांसद राहुल कस्वा का बीजेपी से टिकट कटना बीजेपी के लिए सेल्फ गोल साबित हुआ, दरअसल बीजेपी के दिग्गज नेता राजेंद्र राठौड़ विधानसभा चुनाव में तारानगर सीट से चुनाव हार गए थे जिसके लिए राठौड़ ने राहुल कस्वा को अपनी हार के लिए जिम्मेदार बता दिया था, सूत्रों की माने तो चुरू लोकसभा सीट से राहुल कस्वा का टिकट कटवाने में राजेंद्र राठौड़ की बड़ी भूमिका रही जिसके फलस्वरूप कस्वा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और कांग्रेस ने कस्वा को चुरू लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाकर पैरा ओलंपिक मैडलिस्ट देवेंद्र झजड़िया के सामने मैदान में उतार दिया, पूरे चुनावी प्रचार में राजेंद्र राठौड़ और राहुल कस्वा में जुबानी हमले चले जिससे चुरू प्रदेश को हॉट सीट बन गई और यह भी एक बहुत बड़ा कारण रहा की प्रदेश का अधिकांश जाट वोट बैंक कांग्रेस के पाले में चला गया।

भाटी ने बिगाड़ा मोदी के मंत्री का खेल :-


प्रदेश की दूसरी हॉट सीट बाड़मेर लोकसभा सीट रही बीजेपी ने मोदी सरकार के मंत्री कैलाश चौधरी कांग्रेस ने आरएलपी छोड़ कर आए उमेदाराम बेनवाल को मैदान में उतारा तो शिव से विधायक बने छात्रनेता रविन्द्र सिंह भाटी भी निर्दलीय मैदान में उतर कर राजपूत वोट बैंक में सेंध लगा दी जिसके चलते मंत्री कैलाश चौधरी को बुरी हार का सामना करना पड़ा, कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल ने बाड़मेर से जीत दर्ज की।

वसुंधरा फैक्टर बीजेपी को पड़ा भारी :-

राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अनदेखी करना भाजपा को भारी पड गया। पूरे लोकसभा चुनाव में वसुंधरा राजे 24 सीटों पर चुनाव प्रचार के दौरान नजर नही आई। बीजेपी के नेताओं ने अतिउत्साह में आकर पोस्टर बैनरों से मैडम राजे की फोटो ही गायब कर दी और दिल्ली को आश्वस्त कर दिया कि मोदी के चेहरे पर 25 की 25 सीटे जीतेंगे, लेकिन ऐसा नही हुआ और वसुंधरा राजे सिर्फ अपने बेटे के लिए चुनाव प्रचार करती नजर आई। बीजेपी नेताओं ने यदि अपना अंहकार साइड लाइन कर वंसुधरा राजे को साइड लाइन नही किया होता तो शायद आज राजस्थान में बीजेपी की 25 सीटों पर जीत की हैट्रिक लग जाती।

पूर्व मुख्यमंत्रियों में एक बेटा हारा, एक जीता :-

दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे लोकसभा चुनाव 2024 के चुनावी मैदान में थे, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह झालावाड-बांरा सीट से चुनाव जीते तो वही जालौर से पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को करारी हार का सामना करना पडा।

अजमेर से बीजेपी के भागीरथ चौधरी की बंपर जीत :-

अजमेर लोकसभा चुनाव-2024 के चुनाव परिणाम 4 जून को जिला निर्वाचन अधिकारी ने घोषित किया है। अजमेर लोकसभा सीट से दूसरी बार भाजपा से भागीरथ चौधरी 3 लाख 27 हजार 466 वोटों से अपनी जीत हासिल की है, तो वही कांग्रेस प्रत्याशी रामचन्द्र चौधरी को बुरी तरह हार का सामना करना पडा। आपकों बता दे कि भाजपा के भागीरथ चौधरी को उनको 7 लाख 41 हजार 151 मत मिले। वहीं कांग्रेस के रामचंद्र चौधरी को 4 लाख 13 हजार 685 मत मिले। भागीरथ चौधरी पिछली बार 4 लाख 16 हजार 424 वोट से जीते थे। इस बार ये जीत का अन्तर कम रहा।
अजमेर लोकसभा क्षेत्र में 11 हजार 290 लोगों नोटो का बटन दबाकर दोनों प्रत्याशियों को नकार दिया।

किस विधानसभा में रहा कितना अंतर :-

अजमेर लोकसभा क्षेत्र में कुल आठ विधानसभा है, जिसमें दूदू विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी को 80703 वोट मिले तो कांग्रेस को 53787 वोट मिले, बीजेपी ने दूदू विधानसभा क्षेत्र से 26 हजार 916 वोंट से बढ़त ली। किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी को सर्वाधिक बढत मिली है, इस क्षेत्र से भागीरथ चौधरी विधायक भी रहे है, बीजेपी को 107716 वोट मिले और कांग्रेस को मात्र 56 हजार 671 वोटों पर ही संतोष करना पडता, जीत का 51045 वोट का अंतर रहा। इसी प्रकार पुष्कर विधानसभा से बीजेपी को 95 हजार 780 वोट मिले और कांग्रेस को 52244 वोट मिले, जीत का अतंर 43 हजार 536 वोट का अंतर रहा, अजमेर दक्षिण विधानसभा में 83 हजार 643 वोट बीजेपी व 48 हजार कांग्रेस को मिले, जिसमें जीत का अंतर 35 हजार 643 का रहा। इसी तरह उत्तर विधानसभा में बीजेपी को 88 हजार 271 वोट तो वही कांग्रेस को 45 हजार 148 वोट मिले, जीत का अंतर 43 हजार 123 वोटों का रहा। नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी को 89 हजार 146 वोट मिले और कांग्रेस को 47 हजार 749 वोट मिले, यहां जीत का अंतर 41 हजार 397 का रहा। मसूदा विधानसभा रामचन्द्र चौधरी का गृह क्षेत्र है इस विधानसभा से चौधरी विधायक का चुनाव भी लड चुके है, चौधरी के गृह क्षेत्र में भी चौधरी को बुरी तरह हार का सामना करना पडा, जहां बीजेपी को 97 हजार 421 वोट मिले तो कांग्रेस को 59 हजार 47 वोट ही मिले, यहां जीत का अंतर 38 हजार 374 वोटों का रहा। इसी प्रकार केकडी विधानसभा से बीजेपी को 98 हजार 471 वोट मिले और कांग्रेस को 51 हजार 39 वोट मिले, जिसमें जीत का अंतर 47 हजार 432 वोटों का रहा।
खबर लिखे जाने तक यह वोटों का आंकडा ईवीएम मशीनों का ही मान कर लिखा गया है।

पोस्टल बैलेट में बीजेपी को 6311 वोट तो कांग्रेस को 3786 वोट मिले तो नोटा पर 112 लोगो ने ठप्पा लगाया।

पोस्टल बेलेट के आंकडे अभी निर्वाचन विभाग द्वारा जारी नही किए गए।

हार जीत के कारण :-

कांग्रेस प्रत्याशी रामचन्द्र चौधरी
आठों विधानसभाओं में से एक भी विधानसभा में बढत नही बना पाए, जबकि भागीरथ चौधरी ने सभी विधानसभाओं में हजारों वोटों की लीड लेते हुए लाखों वोटों की बढत बनाकर दूसरी बार जीत का इतिहास रचा।
बीजेपी प्रत्याशी भागीरथ चौधरी के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, डिप्टी सीएम दीया कुमारी व प्रेमचंद बैरवा ने जनसभाए करी थी। कांग्रेस प्रत्याशी के लिए सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा प्रचार करते हुए नजर आए, भागीरथ चौधरी को पार्टी के अद्धरूनी संगठन बूथ कमेटियां व पार्टी के मोर्चो व प्रकल्पों की सक्रियता का लाभ मिला तो वही कांग्रेस प्रत्याशी रामचन्द्र चौधरी अकेले चुनावी लडाई लडते हुए नजर आए। कांग्रेस की अद्धरूनी कलेह पायलट व गहलोत गुट में बटी हुई नजर आई। सचिन पायलट प्रचार के लिए एक बार भी अजमेर नही आए, जिसका खामियाजा रामचन्द्र चौधरी को भुगतना पडा। रामचन्द्र चौधरी को लेकर गुर्जर मतदाता अंदरखाने आक्रोषित थे। जिसके चलते ईवीएम मशीन पर गुर्जर मतदाताओं ने कमल का बटन दबाया। इसके साथ ही शहरी मतदाताओं की पोलिंग ने भी बीजेपी की बडी जीत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रामचन्द्र चौधरी इस चुनाव में मुद्दे नही भुना पाए और उनका सोशल मीडिया व मीडिया प्रबंधन, चुनाव प्रबंधन नकारा साबित रहा।

मरुधरा टुडे का नज़रिया :-

मरूधरा टुडे ने 26 अप्रैल पोलिंग के दिन अलग-अलग बूथों पर जाकर दोनों पार्टियों की नब्ज टटोली थी और हमनें उस दिनभी बताया था कि अधिकांश पोलिंग बूथ की टेबलों से कांग्रेस कार्यकर्ता अपनी टेबल छोडकर दोपहर में ही जा चुके थे, जबकि बीजेपी की बूथ कमेटियां भरी दोपहरी में भी अपने टेबलो पर पूरे जोश के साथ तैनात रहे, जिसका फायदा आज परिणाम के दिन देखने को मिला।

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