सोलहवीं राजस्थान विधान सभा के द्वितीय सत्र में गुरुवार सांय से शुक्रवार दोपहर तक सदन में आये बार-बार गतिरोध को अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने कूटनीतिक ढंग से समाप्त करा दिया। देवनानी ने प्रतिपक्ष द्वारा सदन के बाहर जाकर उन पर लगाये गए व्यक्तिगत आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि सदन की रिपोर्ट का अवलोकन करेंगे तो पता लगेगा कि उनका हमेशा निष्पक्ष व्यवहार ही रहा है। सदन में पक्ष और प्रतिपक्ष के सभी सदस्यों ने अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी के प्रति पूर्ण विश्वास व्यक्त किया।
अविनाश गहलोत के साथ टीकाराम जूली और हरीश चौधरी के अंशों को हटाया – सदन के गतिरोध को समाप्त करने के लिए अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी से प्रतिपक्ष नेता व अन्य वरिष्ठ नेतागण और संसदीय कार्य मंत्री मिले। देवनानी से दोनों पक्ष के वरिष्ठ नेतागण ने एक-दूसरे के उदबोधनों में से आपत्तिजनक अंश हटाने का अनुरोध किया। देवनानी ने दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और विधायक हरीश चौधरी के गुरुवार को दिये गये उदबोधनों में से असंसदीय, आपत्तिजनक और अमर्यादित शब्दों को विलोपित करने के निर्देश दिये।
सबको साथ लेकर चलना ही उनके व्यवहार में है- देवनानी ने कहा कि जब उनको सर्वसम्मति से अध्यक्ष निर्वाचित किया गया था तब मन बहुत प्रफुल्लित था। पक्ष और प्रतिपक्ष के सभी सदस्यों ने उनके निर्वाचन पर सहमति जताई थी। इसलिए उन पर इस पद की गरिमा बनाये रखने की भी नैतिक रूप से दोहरी जिम्मेवारी बन गई है। उन्होंने उसी भावना से निष्पक्ष तौर पर आसन से कार्य किया है क्योंकि उनका दैनिक जीवन में भी सबको साथ लेकर चलने वाला ही व्यवहार रहा है। देवनानी ने कहा कि प्रतिपक्ष हो या सत्ता पक्ष, उन्होंने सभी सदस्यों को सदन में शिष्टाचार को अमल में लाने के लिए कहा था और यही अपेक्षा है।
सदन की गरिमा बनाये रखने की प्रत्येक सदस्य की जिम्मेदारी- देवनानी ने कहा कि यह सदन है। प्रदेश की जनता का पवित्र स्थल है। यहां की अपनी गरीमा है, परम्पराएं है, मर्यादाएं है, जिनका पालन करना सभी सदस्यों का दायित्व है। सदन में व्यवहार कैसा हो, इसके लिए सभी सदस्यों को राजस्थान विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम के नियम 269 का अध्ययन अवश्य करना होगा और उन नियमों को अपने व्यवहार में भी लाना होगा।
सदन नियमों, परम्पराओं और मर्यादाओं से चलेगा- देवनानी ने कहा कि किसी सदस्य को किसी शब्द या किसी बात से आपति है तो वे उनसे उनके कक्ष में मिल कर भी अपनी बात रख सकते है। उन्होंने कहा कि वे सदन को पूरा समय देते है। सदन में चल रहे वाद-विवाद के एक-एक पल की जानकारी से वे अवगत रहते है। किसी सदस्य के साथ पक्षपातपूर्ण रवैय्या करना तो उनकी आदत में ही नहीं है। उनका प्रयास यही रहता है कि सदन नियमों, परम्पराओं और मर्यादाओं से चलना चाहिए, ताकि प्रदेश की जनता जिसने इस सदन में जनता की समस्याओं के समाधान के लिए सभी सदस्यों को चुनकर भेजा है, उनके साथ सही व्यवहार हो सके।
सदन का प्रत्येक सैकण्ड बहुत महत्वपूर्ण- क्षेत्र की जनता की आपसे बहुत अपेक्षाएं है। जन समस्याओं के निराकरण के लिए उनकी आशाओं भरी निगाहे आप पर लगी होती है। सदन का प्रत्येक सैकण्ड बहुत महत्वपूर्ण होता है। समय का ध्यान रखें। सदन और अपने क्षेत्र की जनता के प्रति कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करने के लिए सदन के नियमों का पालन भी करें।
प्रतिपक्ष नेता ने खेद जताया- इससे पहले प्रतिपक्ष नेता टीकाराम जूली ने कहा कि वे कतई नहीं चाहते कि आसन का किसी प्रकार का अपमान हो। आसन पर आक्षेप लगाने की भी उनकी कोई मंशा नहीं थी। प्रतिपक्ष को सदन में अध्यक्ष से ही संरक्षण की उम्मीद रहती है। जूली ने कहा कि उनकी बात से आसन की भावना को किसी प्रकार की ठेस पहुँची हो तो उसके लिए वे माफी चाहते है।
अध्यक्ष ने सदैव प्रतिपक्ष को दिया संरक्षण और भविष्य में भी अपेक्षा-सदन में विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि अध्यक्ष पद पर वासुदेव देवनानी के नाम की घोषणा होने पर पक्ष और प्रतिपक्ष के सभी सदस्यों ने एक स्वर में देवनानी को सुलझे हुए व्यक्ति बताया था। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष से प्रतिपक्ष को आज तक संरक्षण मिलता रहा है। उन्होंने अध्यक्ष से भविष्य में भी संरक्षण दिये जाने की अपेक्षा व्यक्त की। जब से देवनानी अध्यक्ष पद पर आसीन हुए है, उन्होंने हमेशा प्रतिपक्ष हो या सत्तापक्ष सभी का पूरा ख्याल रखा है। हम सभी उनका सम्मान करते है। उनका सम्मान, चेयर का सम्मान हम सभी पक्ष और प्रतिपक्ष का सम्मान है। इस सम्मान से इस सदन की गरिमा बढती है।
देवनानी पूरी निष्पक्षता और पारदर्शी व्यवस्था से निभा रहे है दायित्व- संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने सत्ता पक्ष की ओर से सदन को विश्वास दिलाया की आसन के किसी भी आदेश की ना तो अभी तक अवहेलना की है और ना ही वे भविष्य में ऐसा कुछ करेंगे। सदन के आसन पर विराजने वाला व्यक्ति संविधान के द्वारा प्रदत्त अधिकारों के तहत बैठता है। वह सभी का होता है और इस जिम्मेदारी को बखूभी निभाता है। देवनानी इस दायित्व को पूरी निष्पक्षता और पारदर्शी व्यवस्थाओं के साथ निर्वहन कर रहे है।