Saturday, February 22, 2025
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एमडीएस यूनिवर्सिटी में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस संपन्न , केबिनेट मंत्री सुरेश रावत ने की कॉन्फ्रेंस में शिरकत

एमडीएस यूनिवर्सिटी में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस संपन्न 

हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और वैज्ञानिक शोध के बीच एक अद्भुत संवाद का प्रतीक है – केबिनेट मंत्री रावत

 

अजमेर : 11 फरवरी 2025

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के वनस्पति तथा खाद्य एवं पोषण विभाग द्वारा आयोजित इनोवेटिव रिसर्च ऑन प्लांट-बेस्ड न्यूट्रास्यूटिकल्स और थेरैप्यूटिक्स अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभागियों को पुरूस्कृत करते हुए जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और वैज्ञानिक शोध के बीच एक अद्भुत संवाद का प्रतीक है। रावत ने बाहर से आए प्रतिभागियों को पुष्कर आमंत्रित करते हुए कहा कि पुष्कर केवल ब्रह्मा जी की नगरी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अद्भुत संगम स्थल है, जहां विविध भौगोलिक परिस्थितियों, संस्कृतियों और ज्ञान का मिलन देखने को मिलता है। यह स्थल न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।

भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों, जैसे आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और योग, ने दुनिया भर में सम्मान प्राप्त किया है। यह हमारी विरासत का हिस्सा हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश हम इन्हें कई बार पिछड़ा हुआ मानने की भूल कर बैठते हैं। हम भूल जाते हैं कि इन पद्धतियों ने न केवल हमारे पूर्वजों को स्वस्थ और दीर्घायु बनाया, बल्कि इन्हीं विधियों के आधार पर आज की दुनिया में बहुत से उपचार मिल रहे हैं।

कोरोना महामारी के दौरान, हमने देखा कि हमारे पारंपरिक पौधे जैसे नीम, गिलोय और तुलसी ने स्वास्थ्य रक्षा में कितना योगदान दिया। ये पौधे न केवल हमारी रक्षा कर रहे थे, बल्कि उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि हमारे पारंपरिक उपाय आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ पूरी तरह से तालमेल बैठा सकते हैं।

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रावत ने कहा की हमारे देश में जैविक कृषि उत्पादों का उपयोग करने से न केवल हमारे पूर्वजों को स्वस्थ जीवन मिला, बल्कि उन्होंने दीर्घायु प्राप्त की। हालांकि, रसायनों के बढ़ते उपयोग ने आधुनिक कृषि उत्पादन को तो बढ़ाया, परंतु इसके दुष्प्रभाव भी पर्यावरण और जीवों पर देखने को मिल रहे हैं। इस संदर्भ में, हमें जैविक और पारंपरिक उपायों की ओर लौटने की आवश्यकता है।

मंत्री रावत ने युवा वैज्ञानिकों से आग्रह किया की राजस्थान की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन पौधों और पेड़ों पर अनुसंधान करना चाहिए, जो इस क्षेत्र में स्वाभाविक रूप से उगते हैं। इन पौधों में न केवल कठोर विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की अद्भुत क्षमता है, बल्कि इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले जैविक तत्व भी प्रचुर मात्रा में होते हैं।

विश्वविद्यालय के आयोजकों और विजेता प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दी और कहा कि ऐसे आयोजन जारी रखने का आह्वान करता हूं, ताकि हम अपने राज्य स्तर, तहसील से गांव तक समाज के ऐसे कल्याणकारी ज्ञान को पहुंचा सके।

अंत में, विश्वविद्यालय में शिक्षकों और स्टाफ की मांग पर आश्वस्त किया की इस विषय को लेकर मैं शीघ्र ही सरकार से बात कर इस मुद्दे का समाधान जल्द ही निकालेंगे।

अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने कहा कि हमारे रोगी होने में पश्चात संस्कृति और खान-पान बड़ा कारण है। कुलपति ने यह भी कहा कि संध्या से पूर्व भोजन करना, जल्दी सोना, जल्दी उठना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को बताते हुए कहा कि ये हमारी आवश्यकता की पूर्ति की क्षमता रखते हैं, लेकिन लालच की नहीं । प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

प्रो. सोडानी ने यह भी आग्रह किया कि हमें एक दूसरे को जन्म दिवस के अवसर पर पुस्तकों का भेंट देना चाहिए ताकि व्यक्ति मोबाइल की जगह पुस्तके पढ़े।ये भी कहा कि कार्यस्थल पर अधिक समय देकर कुछ नया करने का प्रयास करना चाहिए।

इस समारोह में प्रो.पीसी त्रिवेदी, (पूर्व कुलपति,)और प्रो. अरविंद पारीक द्वारा लिखित पुस्तक पर्यावरण प्रभाव आकलन का विमोचन भी किया गया।

संगोष्ठी के आयोजन सचिव प्रो. अरविंद पारीक ने दो दिवसीय संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, आयोजन संयुक्त सचिव प्रो. ऋतु माथुर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन सपना जैन ने किया।

आज इन वैज्ञनिको /शोधार्थियों ने शोध पत्र पढ़े –

डॉ. जयकांत यादव (केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान, अजमेर) ने दुग्ध उत्पन्न प्रोटीन के माध्यम से आन्त्र जनित न्यूरोटॉक्सिक पेप्टाइड्स और प्रोटीन को लक्ष्य बनाने की खोज तथा अल्जाइमर एवं पार्किंसन रोग की प्रगति को रोकने हेतु एक नवीन दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

वेस्टर्न इलिनॉइस यूनिवर्सिटी में काम कर रहे अमेरिका के प्रो. रिचर्ड मसर ने शाकाहारी कीटों में पोषक पौधों के विषाक्त तत्वों के सेवन के प्रति ट्रांसक्रिप्टो में प्रतिक्रिया पर पत्र वाचन किया ।

प्रो रितु माथुर ने फाइटोन्यूट्रिएंट्स की शक्ति के प्राकृतिक रहस्यो पर प्रकाश डाला।

प्रो. मोनिका भटनागर ने प्रकृति प्रेरित जैव पॉलीमर : उन्नत घाव देखभाल हेतु सतत समाधान का अग्रणी विकास पर व्याख्यान दिया।

प्रो. रिछपाल सिंह, राजकीय महाविद्यालय जोधपुर ने थार मरुस्थल की वनस्पति संपदा – आहार, पोषक अनुपूरक एवं न्यूट्रास्यूटिकल का स्रोत, संरक्षण, संवर्धन हेतु जन जागरण की आवश्यकता पर जोर दिया ।

केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान से प्रो. नेहा सिंह ने खिलाड़ियों के लिए उपयोगी पोषण पर पत्र वाचन किया।

इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में देश-विदेश के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने भाग लिया और नवीनतम अनुसंधान प्रस्तुत किए। सम्मेलन के अंतर्गत आयोजित पोस्टर एवं मौखिक प्रस्तुति सत्र विशेष आकर्षण का केंद्र रहे, जिनमें विभिन्न विषयों पर शोधार्थियों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दीं।

पोस्टर सत्र के निर्णायक डॉ. सीमा भदौरिया एवं डॉ. नीतू जैन रहे, जबकि मौखिक प्रस्तुति सत्र के लिए विभिन्न विषयों के अनुसार विशेषज्ञ जजों की नियुक्ति की गई।

यह रहे प्रतियोगिता के परिणाम 

फाइटोकैमिस्ट्री एवं जैव सक्रिय यौगिक विषय में डॉ. राकेश पांडे निर्णायक रहे। इस श्रेणी में पोस्टर प्रस्तुति में प्रथम स्थान प्रमिला प्रजापत और द्वितीय स्थान मौसम छिल्लर को मिला, जबकि मौखिक प्रस्तुति में प्रथम स्थान दाना राम और द्वितीय स्थान कैलास कुमार सतपुटे को प्रदान किया गया।

खेल पोषण एवं प्रदर्शन में पौधों की भूमिका विषय में पोस्टर सत्र में प्रथम स्थान परीक्षित लक्षकार और द्वितीय स्थान प्रवीन सिंह चौहान को प्राप्त हुआ। इसी विषय के मौखिक सत्र में अभिलाषा पुरोहित को प्रथम और साक्षी चौधरी को द्वितीय स्थान मिला।

औषधीय पौधे एवं पारंपरिक हर्बल चिकित्सा विषय में डॉ. अमीता शर्मा निर्णायक रहीं। इस श्रेणी में पोस्टर प्रस्तुति में प्रथम स्थान संजय सैनी और द्वितीय स्थान योगेश आत्माराम आहिरराव को मिला, जबकि मौखिक प्रस्तुति में प्रथम स्थान पूनम राठौड़ और द्वितीय स्थान नीतू सीरवी को प्राप्त हुआ।

नियामक पहलू एवं गुणवत्ता नियंत्रण विषय में प्रो. रितु माथुर निर्णायक रहीं। इस श्रेणी में पोस्टर सत्र में प्रथम स्थान मंजू परिहार और द्वितीय स्थान मानसी गोयल को प्राप्त हुआ, जबकि मौखिक सत्र में प्रथम स्थान अनिल चाहर और द्वितीय स्थान सौरवदीप सिंह को मिला।

वन्यजीव संरक्षण में वनस्पतियों की भूमिका विषय में प्रो. रितु माथुर निर्णायक रहीं। इस श्रेणी में पोस्टर सत्र में प्रथम स्थान तेजपाल यादव और द्वितीय स्थान साबा खान को प्राप्त हुआ, जबकि मौखिक सत्र में केवल दो प्रतिभागी होने के कारण कोई स्थान घोषित नहीं किया गया।

इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शोधकर्ताओं ने पादप-आधारित न्यूट्रास्युटिकल्स और उपचारों से संबंधित नवीनतम अनुसंधान प्रस्तुत किए। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर ने इस सफल आयोजन पर हर्ष व्यक्त किया और भविष्य में भी इस तरह के शोध कार्यक्रमों के आयोजन का संकल्प लिया। सभी विजेताओं को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

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