रेलवे द्वारा रेल संचालन में संरक्षा को सुदृढ़ करने के साथ-साथ अधिक ट्रेनों का संचालन और ट्रेनों की स्पीड को बढ़ाने के लिए आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है। संरक्षित और तीव्र रेल संचालन में आधुनिकतम सिगनल प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर सिगनल प्रणाली के अपग्रेडेशन के लिए विभिन्न स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं। उत्तर पश्चिम रेलवे में लगभग 90 किलोमीटर अत्याधुनिक ऑटोमैटिक सिगनलिंग प्रणाली लगाई गई है, जिससे संरक्षा में बढ़ोतरी होगी साथ ही लाइन क्षमता भी बढ़ेगी।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे पर अमिताभ, महाप्रबंधक के नेतृत्व में आधुनिक तकनीक और नवाचार पर विशेष बल दिया जा रहा है, जिससे रेल परिवहन को संरक्षित, सुगम, तीव्र, सुविधाजनक बनाने के लिए सुनिश्चित किया जा रहा है। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए अत्याधुनिक ऑटोमैटिक सिगनलिंग प्रणाली लगाने का कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे में 450 किलोमीटर रेलमार्ग में लगभग 900 करोड़ रूपए की लागत के साथ ऑटोमैटिक सिगनलिंग प्रणाली लगाने का कार्य स्वीकृत किया गया है जिसमें से 90 किलोमीटर रेलमार्ग पर ऑटोमैटिक सिगनलिंग प्रणाली का कार्य पूरा किया जा चुका है।
उत्तर पश्चिम रेलवे में अजमेर-साखुन (57 किलोमीटर), गांधीनगर जयपुर-कानोता (18 किलोमीटर) तथा गांधीनगर जयपुर-जयपुर-कनकपुरा (14.3 किलोमीटर) रेलमार्गों में ऑटोमैटिक सिगनलिंग प्रणाली लगाई गई है। उल्लेखनीय है कि गांधीनगर जयपुर-जयपुर-कनकपुरा रेलखण्ड में 21 जुलाई को कार्य पूरा किया गया है।
ऑटोमैटिक सिगनलिंग प्रणाली की स्थापना से संरक्षा सुदृढ़ होती है साथ ही एक ब्लॉक सैक्शन में एक से अधिक ट्रेनें संचालित हो सकेगी, जिससे लाइन क्षमता में बढ़ोतरी होगी अर्थात् अधिक ट्रेनों का संचालन किया जा सकेगा। इसके साथ ही ट्रेनों की समयपालनता भी बेहतर होगी।
उत्तर पष्चिम रेलवे में 450 किलोमीटर रेलमार्ग में ऑटोमैटिक सिगनलिंग प्रणाली के कार्य स्वीकृत है जिसमें अधिकतर कार्य दोहरीकरण किए जा रहे रेलमार्ग में दोहरीकरण के साथ ही किए जा रहे हैं, जिनके टेण्डर अवार्ड कर दिए गए है। इसके अतिरिक्त महत्वपूर्ण पालनपुर-अजमेर-जयपुर-रेवाडी रेलमार्ग के शेष रेलखंडो पर ऑटोमैटिक सिगनलिंग प्रणाली के कार्य स्वीकृति के अंतिम चरण में है।
रेलवे द्वारा उत्कृष्ट और आधुनिक सिगनल प्रणाली की स्थापना से रेल संचालन को संरक्षित, बेहतर और तीव्र बनाना सुनिश्चित किया जा रहा है।