भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में भव्य आगमन और विशेष कार्यक्रम
किशनगढ़/अजमेर : 13 सितंबर 2024
“मैं राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के मिशन की सराहना करता हूँ। 2047 तक एक विकसित भारत बनाने के लक्ष्य की दिशा में देश एक मैराथन मार्च पर है, और इस यात्रा में उच्च शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि आप इस मैराथन में ड्राइवर की सीट पर हैं और इसके प्रमुख हितधारक हैं। ऐसे में, आपकी भागीदारी अनिवार्य है। विकसित भारत के इस यज्ञ में हर भारतीय को अपनी आहुति देनी होगी।” यह बात भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के विशेष कार्यक्रम में “विकसित भारत@2047 में उच्च शिक्षा की भूमिका” विषय पर विद्यार्थियों और शिक्षकों से सार्थक संवाद करते हुए कही।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि शिक्षा किताबों से परे है और यह समाज में परिवर्तन लाने वाला सबसे प्रभावशाली परिवर्तनकारी तंत्र है। शिक्षा समानता लाती है। शिक्षा का मतलब सिर्फ डिग्री प्राप्त करना नहीं है। शिक्षा के प्रसार के बिना हम 2047 के विकसित भारत की कल्पना नहीं कर सकते। उन्होंने आग्रह किया कि हर दिन सीखने का दिन होना चाहिए, हर दिन हमें औपचारिक शिक्षा से परे कुछ जोड़ना चाहिए और आपको परस्पर संपर्क पैदा करना चाहिए।
उन्होंने कुलपति को नैक द्वारा ए++ रैंकिंग मिलने पर बधाई दी और कहा कि राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने कई क्षेत्रों में नाम कमाया है, जिसके आप हकदार हैं। उन्होंने आगे कहा कि मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज मैंने जो बुनियादी ढांचा देखा है, संकाय का स्वरूप, कुलपति की गतिशीलता और छात्रों की संरचना, वह दिन दूर नहीं जब इस विश्वविद्यालय को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि हम सबको पता है कि धरती के अलावा हमारे पास रहने की कोई दूसरी जगह है ही नहीं। हमें इसे बनाए रखना है, जलवायु परिवर्तन को शामिल करना है। आज मैंने प्रवेश करते ही एक पेड़ लगाया। प्रधानमंत्री जी का आह्वान था “मां के नाम एक पेड़”। मैं हर विद्यार्थी से अपील करता हूं- आपके परिसर का भौगोलिक आयाम बहुत बड़ा है। हर कोई एक पेड़ लगाए अगर जरूरत पड़ी तो मैं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से सहायता प्राप्त करूंगा, ताकि वे एक अध्ययन करें और सुनिश्चित करें कि यहां कौन से पेड़ लग सकते हैं ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक अंदाज़ा हो।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम दिलचस्प समय में हैं जब हमारी कोई सीमा नहीं है। जल, थल ,वायु, अंतरिक्ष सभी क्षेत्र में भारत की गूँज दुनिया को सुनायी दे रही है, हमारी प्रगति हर क्षेत्र में है। इस चुनौतीपूर्ण समय में, राष्ट्र के प्रति हमारा कर्तव्य है कि हम यह देखें कि यह संस्थान आगे बढ़े और जो अजेय है। उन्होंने संविधान के कर्तव्यों की भी याद दिलाई।
उन्होंने कहा कि अवसरों की संख्या बढ़ती जा रही है और युवा इसके बारे में जागरूक नहीं हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से अनुरोध किया कि कृपया अपनी आंखें खोले और उपलब्ध अवसरों को देखें। अवसरों की संख्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने इसरो का उदाहरण दिया जहां कोई भी आईआईएम या आईआईटी से नहीं है लेकिन फिर भी इसरो की सफलता हमारी सोच से कहीं परे है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं यहां आने के बाद प्रेरित और उत्साहित हूं और इसलिए वे भारतीय विश्व मामलों की परिषद (indian council of world affairs) के साथ राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय का एक समझौता ज्ञापन कराएंगे जिसे अगले 3 महीनों में प्रमाणित किया जाएगा और इससे दुनिया के साथ विश्वविद्यालय का जुड़ाव बढ़ेगा।
उन्होंने कुलपति से आग्रह किया कि आप मेरा आतिथ्य स्वीकार करें और बैच में विद्यार्थियों को भारतीय संसद, भारत मंडपम एण्ड प्रधानमंत्री संग्राहलय देखने भेजे । अंत में उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आप भाग्यशाली हैं कि आपको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है, लेकिन मेरा अनुरोध है कि किसी भी प्रकार की असफलता का डर मन में न रखें और प्रयास करने में संकोच न करें, क्योंकि असफलता ही सफलता की कुंजी है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि किशनगढ़ उनकी राजनैतिक कर्म भूमि है और यहाँ के लोगों ने उन्हे सींचा, सृजन किया है और लंबी यात्रा में भागीदारी निभाई।
इससे पूर्व राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आनंद भालेराव ने शॉल, स्मृति चिन्ह, भगवद गीता और गणेशजी कि प्रतिमा देकर उपराष्ट्रपति और उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ का परिसर में स्वागत किया।
राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आनंद भालेराव ने अपने अभिभाषण में जगदीप धनखड़, माननीय उपराष्ट्रपति और डॉक्टर सुदेश धनखड़ का स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारे लिए बहुत गर्व और सम्मान की बात है कि हम एक महान नेता, धरतीपुत्र और निष्ठावान व्यक्ति के स्वागत का अवसर मिला है। राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में आपकी उपस्थिति न केवल एक सौभाग्य है, बल्कि हम सभी के लिए एक प्रेरणा है, जिनकी शिक्षा के विकास, युवाओं के सशक्तिकरण, लोकतंत्र और उच्च शिक्षा के मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता अथक है।
उन्होंने कहा कि हम आशा करते हैं, कि आपके मार्गदर्शन से हमें शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने तथा 2047 तक विकसित भारत में योगदान देने की प्रेरणा मिलेगी।
विश्वविद्यालय की गतिविधियों के बारे में बताते हुए प्रो भालेराव ने कहा कि राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय विभिन्न विषयों में ऐसे कार्यक्रम पेश करके राजस्थान के शैक्षिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता और सामाजिक प्रभाव को प्रोत्साहित करते हैं। आज राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रगति के नए सोपान चढ़ रहा है और विश्वविद्यालय ने एक अच्छे संस्थान के सभी आयामों में उल्लेखनीय प्रगति की है। यह राजस्थान राज्य का एकमात्र सरकारी संस्थान है जिसे राष्ट्रीय मूल्यांकन और मान्यता परिषद द्वारा A++ मान्यता प्राप्त है और साथ ही विश्वविद्यालय को यू जी सी द्वारा श्रेणी 1 विश्वविद्यालय का दर्जा भी प्राप्त है।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय पिछले 5 वर्षों से एक शोध विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता प्राप्त है, हमें इस विश्वविद्यालय के अनुसंधान के लिए 67 करोड़ रुपये से अधिक का अनुदान प्राप्त हुआ हैं। हमारे फैकल्टी सदस्यों के पास 2000 से अधिक प्रकाशन हैं जो विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के दायरे में सूचीबद्ध हैं।
फार्मेसी विभाग को फार्मेसी श्रेणी में देश के शीर्ष 100 संस्थानों में लगातार 2 वर्षों तक राष्ट्रीय रैंकिंग मिली है। साथ ही विश्वविद्यालय अगले एक वर्ष में 250 करोड़ रुपए की लागत से बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है, जिसमें 4 छात्रावास,पुस्तकालय,इंडोर खेल परिसर, मेस भवन, केंद्रीय विद्यालय भवन और कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास होगा, जिससे अगले 10 वर्षों तक विश्वविद्यालय की बुनियादी ढांचे की जरूरत पूरी हो जाएगी।
हमारा विश्वविद्यालय बौद्धिक विकास को बढ़ावा देने, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने और युवा दिमागों को पोषित करने के लिए समर्पित है, जो अंतःविषय सीखने और समावेशी शिक्षा पर जोर देते हुए भारत को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाएंगे। हमारा लक्ष्य अपने विद्यार्थियों को समाज और राष्ट्र में योगदान देने के लिए आवश्यक कौशल और मूल्य प्रदान करना है।
राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय में एक पेड़ माँ के नाम के अंतर्गत माननीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपनी धर्मपत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ के साथ पौधरोपण में भागीदारी भी निभाई और माँ के नाम पेड़ लगाया। उन्होंने राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न प्रमुख सुविधाओं का भी दौरा किया । साथ ही विश्वविद्यालय के ढांचे में पूरी तरह से अपनाई गई नवीन प्रथाओं, प्रौद्योगिकियों और शैक्षिक पहलों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शित प्रदर्शनी का प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
इस आयोजन में गणमान्य अतिथियों, प्रशासनिक अधिकारी, विश्वविद्यालय के शिक्षक व कर्मचारियों, सरपंच इत्यादि की उपस्थिति रही। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय गीत और स्वागत गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन से हुआ व इसका संचालन गरिमा कौशिक ने किया।