राष्ट्रीय रेबीज कंट्रोल प्रोग्राम के अंतर्गत ब्लॉक श्रीनगर ब्लॉक व किशनगढ़ में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर आर एस किराडिया न बताया कि राष्ट्रीय रेबीज कंट्रोल प्रोग्राम के अंतर्गत जिला सलाहकार जितेंद्र हरचंदनी ने सभी चिकित्सा अधिकारी, ए एन एम व आशा सहयोगनी को रेबीज रोग की जानकारी विस्तार पूर्वक दी।
उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर आर एस किराडिया ने बताया कि रबीस एक जानलेवा रोग है। उन्होंने बताया कि WHO द्वारा बताए गए आंकड़ों के अनुसार भारत में रैबीज से होने वाली मौत 36% हैं जो काफी अधिक हैं।
उन्होंने बताया कि कुत्ते, बंदर बिल्ली व आदि जानवरों के काटने से रेबीज होने का खतरा रहता है , उन्होने ने बताया कि जैसे ही किसी व्यक्ति को कोई जानवर काटता है उसे तुरंत रेबीज के वैक्सीनेशन करवा लेना चाहिए ताकि भविष्य में रेबीज होने की संभावना नहीं रहे। उन्होंने बताया कि रेबीज एक वायरस है जो कि संक्रमित जानवर की लार में मौजूद रहता है। भारत में अधिकतर रेबीज के केस आवारा कुत्तों के काटने के पाए जाते हैं। इसके अलावा बंदर कुत्ता,बिल्ली, चमगादड़ आदि लार वाले जानवरों के काटने से रेबीज होने की संभावना रहती है,रेबीज एक वायरल रोग है जोकि रेबीज के वायरस द्वारा होता है रेबीज के लक्षण 5 से 10 दिन के भीतर दिखाई देने लगते हैं। इसमें व्यक्ति की गतिविधियां बहुत अधिक हो जाती हैं सांस लेने लगता है,बुखार,उल्टी,चक्कर आना, गले में दर्द रहना व पानी से डरने लगता है,साथ ही धीरे-धीरे वह कोमा में चला जाता है,और उसके बाद उसकी मृत्यु हो जाती है। इसको रोकने के लिए किसी भी लार वाले जानवर के काटने पर तुरंत रेबीज के वैक्सीनेशन करवाएं उन्हें जानकारी दी कि रेबीज के वैक्सीनेशन जानवर के काटे जाने के प्रथम दिन(जीरो डे) उसके पश्चात 3 दिन एवं उसके पश्चात 7 दिन 14 दिन 28 वे दिन रेबीज के टीकाकरण किया जाता है। उन्होंने जानकारी दी कि किसी भी जानवर के काटने पर जख्म पर तेल, मिर्ची मिट्टी आदि ना लगाएं उसे तुरंत पानी और साबुन से अच्छी तरह धो लें ताकि जख्म से वायरल लोड कम हो सके एवं उसके तुरंत बाद डॉक्टर की सलाह लें एवं वैक्सीनेशन समय पर कराएं।