सांसद राहुल कस्वां ने बीजेपी को कहा अलविदा, कांग्रेस का थामा दामन

MP Rahul Kaswan bids goodbye to BJP, joins Congress

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धोरा उपर नीमडी, धोरा उपर तोप।
चांदी का गोला चालता, गोरा न्याखं टाॅप।
वीको पीको पडतग्यो बन गोरा हम गीर।
चांदी का गोला चालिया, चूरू री तासिर।

चूरू – 1814 के युद्ध में गोला बारूद खत्म होने पर चूरू की सेना ने चांदी के गोले दाग कर दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए। यह दोहा चूरू इलाके के युद्ध कौशल और तासीर को दर्शाता है। इस घटना को इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज कर लिया।

आज के राजनीतिक हालात भी चूरू की तासीर को दर्षाते नजर आ रहे है। चुरू इलाके में लोकसभा चुनाव में गर्माहट बढने वाली है। वैसे भी यह इलाका गर्मी के दिनों में अपने बढ़ते तापमान के लिए मषूहर है।

MP Rahul Kaswan bids goodbye to BJP, joins Congress
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चूरू सांसद  राहुल कस्वां बीजेपी का दामन छोडकर कांग्रेस के हो गए है। बीजेपी ने पहली लिस्ट में चूरू सांसद कस्वां का टिकट काट कर पेरा ओलंपिक खिलाडी देवेन्द्र झाझड़िया को टिकट थमा दिया, टिकट कटने से आहत राहुल कस्वां ने सोशल मीडिया से बीजेपी पर प्रश्न दागते हुए कहा कि मेरा कसूर क्या था! चुरू वैसे तो अपनी हवेलियों ओर भित्ति चित्रों के साथ-साथ पेडे के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सबसे हाॅट सीट चूरू बन गया है। क्योंकि इस सांसद सीट पर कस्वां परिवार का 1991 से लेकर 2019 तक कब्जा रहा है।

राहुल कस्वां के पिता रामसिंह कस्वां 1991, 1999, 2004, 2009 और खुद राहुल कस्वां 2014 व 2019 में चूरू सीट से लगातार दूसरी बार सांसद है। राहुल कस्वां का बीजेपी ने टिकट काट कर कस्वां परिवार और उनके समर्थकों का स्वाद जरूर खराब कर दिया, लेकिन बीते दिनों कस्वां के आवास पर उमड़ी हजारों की भीड़ ने शक्ति प्रदर्शन कर बीजेपी का जायका बिगाड़ दिया है। चूरू सीट पर कस्वा का टिकट काटना बीजेपी से न निगलते बन रहा है न उगलते बन रहा है, क्योंकि राहुल कस्वां ने आज दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और पीसीसी अध्यक्ष गोविन्द डोटासरा की मौजूदगी में कांग्रेस का दुपट्टा ओढ़ कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली है।

सदस्यता ग्रहण करते ही कस्वां ने राजस्थान बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि एक पक्ष बहुत ज्यादा हावी हो गया है, जिसका नतीजा आपके सामने है।

राहुल कस्वा के कांग्रेस ज्वाइन करते ही सोशल मीडिया पर राहुल कस्वा का हेसटेक ट्रेंड करने लग गया लें इससे चुरू सीट का मुकाबला बेहद रोचक हो गया है, क्योंकि कांग्रेस से राहुल कस्वां को टिकट मिलना तय है। चूरू के साथ-साथ सीकर, झुंझुनू, नागौर और जयपुर ग्रामीण की लोकसभा सीटें राहुल कस्वां की वजह से प्रभावित होना लाजमी है। बीजेपी ने वैसे तो पहली सूची में कई सिटिंग सांसदों के टिकट काटे है, लेकिन सबसे ज्यादा विरोध चूरू सीट पर हुआ है। पूरे देश में चुरू लोकसभा का ऐसा टिकट है, जिसका हजारों समर्थक विरोध कर रहे है, बाकी किसी ने चूं की आवाज तक नहीं निकाली।

कस्वां ने इशारों ही इशारों में टिकट कटवाने वालों को ललकार भी दिया था, भले ही भाजपा में दर्जनों नेता शामिल हो रहे, लेकिन चूरू का टिकट और राहुल कस्वां का कांग्रेस ज्वाइन करना भाजपा के लिए कहीं 25 की 25 सीटें जीतने का रिकॉर्ड टूट न जाएं।

आइये आपको बताते है चूरू लोकसभा सीट के कुछ समीकरण जिसको जानने में आपकी दिलचस्पी होगी।  1977 में चुरू लोकसभा सीट स्वतंत्र रूप से अपने अस्तित्व में आई थी और यहां से जनता पार्टी के टिकट पर दौलतराम सारण पहले सांसद बने। इस सीट पर जाटों का दबदबा रहता है। चूरू में इस बार राजस्थान बीजेपी के दिग्गज एक राजपूत नेता और कस्वां परिवार के वस्र्चव की लड़ाई होगी।

2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल कस्वां ने कांग्रेस के रफीक मंडेलिया को तीन लाख 34 हजार 402 वोट से पराजित कर चूरू सीट पर बीजेपी का कब्जा कायम रखा था। कस्वां ने 2014 में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के अभिनेष महर्षि को 2 लाख 94 हजार 739 वोटों से शिकस्त दी थी।  2019 के चुनावों में चूरू लोकसभा क्षेत्र में तकरीबन 20 लाख 19 हजार 104 मतदाता थे। चूरू लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र है। जिसमें नोहर, तारानगर, सरदारशहर, रतनगढ़ और सुजानगढ़ इन पांच सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। भादरा और चूरू सीट पर बीजेपी के एम एल ए है और एक सीट सादुलपुर पर बसपा जीती हुई है। इन समीकरणों का आकलन किया जाए तो बीजेपी की राह इस बार कस्वा के कांग्रेस ज्वाइन करने से आसान नहीं होगी।

🖊️- मोहित जैन