अजमेर- लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में 6 दिसंबर 1993 को हुए सिलसिलेवार बम धमाके को लेकर अजमेर की टाडा कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुना दिया। कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपित आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को सभी आरोपों से दोषमुक्त करते हुए बरी कर दिया। उसके अन्य साथियों इरफान, हमीमुद्दीन को दोषी करार दिया है।
अजमेर की टाडा कोर्ट में सुनाया फैसला,शेष आरोपी दोषी करार
टुंडा की ओर से पैरवी शफकत सुल्तानी ने की थी। अदालत के बाहर मीडिया से बातचीत में वकील सुल्तानी ने सीबीआई को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि मामले में सीबीआई ने अब्दुल करीम टुंडा को सिलसिलेवार बम धमाकों का मास्टर माइंड और हीरो बताया था। सीबीआई के वकील ने अदालत में हर बार कहा कि टुंडा ने ही अपने साथियों को बम बनाना सिखाया। उससे प्रेरित होकर देश में सिलसिलेवार बम धमाके किए गए। पर माननीय न्यायालय ने आरोपित टुंडा को सभी आरोपों से दोषमुक्त माना और सभी मामलों से बरी कर दिया।
उल्लेखनीय है कि अदालत ने 27 फरवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला 29 फरवरी को सुनाने के लिए सुरक्षित रखा था।
अयोध्या में वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद गिराने की बरसी पर सिलसिलेवार बम धमाके किए गए थे। इस मामले में उत्तर भारत की अजमेर टाडा कोर्ट में सुनवाई की जा रही थी। आरोपित आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, इरफान अहमद, हमीदुद्दीन पर लगे आरोपों पर न्यायालय में आखिरी बहस पूरी हो गई। टाडा कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाने के लिए 29 फरवरी की तारीख तय की थी। गुरुवार को आरोपियों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के तहत टाडा कोर्ट लाया गया।
ज्ञातव्य है कि अयोध्या में बाबरी विध्वंस की बरसी पर देश भर में सिलसिलेवार बम धमाके करने के तीन आरोपित आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, इरफान, हमीमुद्दीन जेल में बंद है। टुंडा की ओर से पैरवी शफकत सुल्तानी, इरफान व हमीदुदीन की ओर से एडवोकेट अब्दुल रशीद, सीबीआई की ओर से भवानी सिंह रोहिल्ला व राज्य सरकार की ओर से बृजेश पांडे ने पैरवी की।