भाजपा में घर वापसी होने से अजमेर जिले के नेता गद्द -गद्द नजर आ रहे है, लोकसभा चुनाव से पहले जिले के दिग्गज नेताओं को वापस बीजेपी में घर वापसी करवा दी है। अजमेर लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी, कांग्रेस को पूरी तरह से घेराबंदी कर रही है। भाजपा से बगावत कर अजमेर जिले की जिला प्रमुख बनी सुषील कंवर पलाडा ने जिला परिषद चुनाव में जिला प्रमुख का चुनाव पार्टी के खिलाफ लडा था और उनके पति भवंर सिंह पलाडा को बीजेपी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था तो वही उनके पुत्र षिवराज सिंह पलाडा ने नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र खुद की पार्टी बनाकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लडा था। इस चुनाव में षिवराज सिंह पलाडा तीसरें स्थान पर रहे थे। दरअसल विधानसभा चुनावों में पलाडा को मसूदा से टिकट मिलने की उम्मीद थी, क्योंकि पूर्व में सुषील कंवर पलाडा यहां से विधायक भी रह चुकी थी। पलाडा समाज सेवी के तौरे जिले में अपनी पहचान बनाए हुए है, लेकिन स्थानीय बीजेपी नेताओं ओर इनके विरोधियों ने पलाडा की राह मे रोडे लगा दिए थे। पलाडा का टिकट कट गया और उनकी जगह स्थानीय राजपूत क्षत्रपत वीरेन्द्र सिंह कानावत को मसूदा से टिकट दिया गया और कानावत जिले में सर्वाधिक मतों से यह चुनाव जीत गए। पलाडा को कांग्रेस में ज्वाइंन करने का काफी समय से ऑफर दिया गया था, लेकिन संघ निष्ठ स्वयं सेवक होने के कारण पलाडा कांग्रेस में नही गए और आज वापस परिवार सहित घर वापसी कर ली। जयपुर बीजेपी मुख्यालय में प्रदेष अध्यक्ष सीपी जोषी, वरिष्ठ भाजपा नेता राजेन्द्र राठौड, पूर्व प्रदेष अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी की मौजूदगी में पलाडा परिवार ने भाजपा का दुप्पटा ओढकर बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली।
BJP | Bhanwar Singh Palada | Sushil Kanwar Palada | Shivraj Singh Palada
किशनगढ विधानसभा से विधायक रहे सुरेष टांक भी 2018 में बीजेपी का टिकट नही मिलने पर विधानसभा चुनाव में पार्टी से बगावत कर गए थे। निर्दलीय ही किषनगढ के चुनावी रण में कूद कर विजय हासिल की थी। इस चुनाव में बीजेपी प्रत्याषी वर्तमान कांग्रेस विधायक विकास चैधरी थे। टांक की बगावत के चलते और चैधरी के साथ भीतरघात होने के कारण विकास चैधरी को यह चुनाव हारना पडा था। सुरेष टांक ने निर्दलीय चुनाव जितने के बाद पांच साल तक तत्कालीन गहलोत का समर्थन किया। 2023 विधानसभा चुनाव में टांक ने इस बार फिर बीजेपी का टिकट मांगा, यह भी कांग्रेस में नही गए बीजेपी का टिकट नही मिला तो एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याषी के रूप में किषनगढ से ताल ठोक दी। इस बार इनका मुकाबला वापस विकास चैधरी से हुआ, लेकिन इस बार विकास चैधरी के पास कांग्रेस का हाथ था, चैधरी यह चुनाव 3 हजार से अधिक मतों से जीतें। टांक को करीब 80 हजार वोट मिला, इसका खामियाजा वर्तमान सांसद व बीजेपी प्रत्याषी भागीरथ चैधरी को उठाना पडा। भागीरथ चैधरी विधानसभा चुनाव में तीसरें स्थान पर रहे।
विधानसभा चुनाव में पार्टी यदि चाहती तो पलाडा दम्पति और सुरेष टांक को ज्वाइंन करवा सकती थी, लेकिन ऐसा नही किया। अब पलाडा दम्पति और सुरेष टांक को पार्टी ज्वाइंन करवाई गई है, जिसके कई मायनें निकालें जा रहे है। कुछ लोगों का कहना है कि यह दोनों नेता लोकसभा की दावेदारी कर रहे है। जानकारों की मानें तो भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेन्द्र राठौड जो राजसमंद लोकसभा से चुनाव लडना चाहते है और इसके इलाके में पलाडा की अच्छी खासी पकड मानी जाती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भवंर सिंह पलाडा ने राजसमंद से टिकट मांगा था। राष्ट्ीय स्वयं सेवक संघ के पसंदीदा उम्मीदवार भी पलाडा ही थें। अंतिम समय में इनका टिकट काटकर वर्तमान डिप्टी सीएम दिया कुमार को दे दिया गया था तो वही सतीष पूनिया अजमेर से चुनाव लडना चाहतें है। किषनगढ इलाका जाट बाहुल्य इलाका माना जाता है और दूदू विधानसभा भी अजमेर लोकसभा में आती है। दूदू में भी सर्वाधिक जाट मतदाता है। इस इलाके में दूदू और किषनगढ में एम एल ए विकास चैधरी की मजबूत पकड है। चैधरी की पकड को कमजोर करने के लिए सुरेष टांक की घर वापसी करवाई गई है, ऐसा जानकारों का मानना है। कहीं ऐसा तो नही बीजेपी अपने प्रदेष लेवल के नेताओं को लोकसभा में सेट करने के लिए स्थानीय क्षत्रपों की वापस घर वापसी करवा रही है,