अजमेर लोकसभा सीट के चुनावी मैदान में दो जाट सरदारों Bhagirath Choudhary and Ramchandra Choudhary के बीच महा मुकाबला
दूध दही माखन खावे, शोक ना इन्हें आलू चाट का।
माहौल चाहे कैसा भी हो, डरे ना छोरा जाट का।
अजमेर लोकसभा सीट के चुनावी मैदान में दो जाट सरदारों Bhagirath Choudhary and Ramchandra Choudhary के बीच महा मुकाबला होने वाला है। अजमेर में पहली बार सांसद के लिए एक ही जाति के प्रत्याशी आमने-सामने इस चुनावी मैदान में होंगे । ये मुकाबला बेशक रोचक होगा। बीजेपी ने एक बार फिर महाजन जाट कहें जाने वाले 69 वर्षीय वर्तमान सांसद भागीरथ चौधरी पर अपना दांव चल दिया है तो कांग्रेस ने भी चौधरी से दो-दो हाथ करने के लिए 79 वर्षीय मिल्क मैन रामचन्द्र को अपना प्रत्याशी बनाकर बीजेपी के जाट वोट बैंक को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है। अजमेर जिले की भानपुरा ढाणी नरवर से निकले भागीरथ चौधरी ने किशनगढ़ को अपनी कर्म स्थली बनाया। बी ए सेकंड ईयर तक शिक्षा हासिल की है और किशनगढ़ से दो बार विधायक रहे है और अजमेर से एक बार सांसद रहे है। 2023 विधानसभा चुनाव में विधायक का चुनाव में भागीरथ चैधरी को हार का सामना देखना पड़ा तो वही रामचन्द्र चैधरी लगातार 6बार अजमेर डेयरी पर अपना कब्जा कायम रखते हुए चेयरमैन बने हुए है। तीन बार विधायक का चुनाव लड़ा, लेकिन तीनों ही बार सफलता नही मिली। रामचन्द्र चैधरी पोस्ट ग्रेज्युऐट है।
Big fight between two Jat chieftains Bhagirath Choudhary and Ramchandra Choudhary in the election field of Ajmer Lok Sabha seat.
भागीरथ चौधरी की पिछले पांच सालों में लोकसभा में उपस्थिति 274 में से 274 रही यानि शत प्रतिशत उपस्थिति रही। 201 भागीरथ चौधरी ने प्रश्न लगाए। 66 डिबेट में भाग लिया। 26 विशेष उल्लेख प्रस्ताव लगे। पिछले पांच साल में सांसद कोष से 17 करोड़ के विकास कार्यो की अनुषंषा करी। जिनमें से 10 से 12 करोड़ के काम हो चुके है और पांच करोड़ के काम प्रक्रियाधीन है।
रामचंद्र चौधरी ने 2002 में दूध की गुणवत्ता के लिए कोल्ड चेन सिस्टम लागू करवाया जो सबसे पहले अजमेर डेयरी में लागू हुआ। रामचन्द्र चौधरी के नेतृत्व में 13 देशों की मशीनरी अजमेर डेयरी में लगी हुई है। इसके अलावा अजमेर जिले में डेयरी क्रांति के लिए रामचन्द्र चौधरी जाने जाते है।
भागीरथ चोधरी डबल इंजन की सरकार के काम, योजनाएं, मोदी चेहरा, राम मंदिर लहर पर सवार होकर अजमेर लोकसभा का चुनाव लडने कूद पडे है। भागीरथ चौधरी की संगठन में अच्छी पकड़ होने के चलते दोबारा इन्हें टिकट दिया गया। वर्तमान में बीजेपी राजस्थान किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी है।
जिले के सभी विधायकों से मधुर संबंध है, जिसका लाभ चौधरी को मिल सकता है। बीजेपी एक मुखी होकर चुनाव लडेगी।
तो वही रामचन्द्र चौधरी 1967 से छात्र जीवन में रहते हुए कांग्रेस से जुड गए और कांग्रेस में विभिन्न पदों पर रहे। ग्रामीण क्षेत्र में डेयरी कार्य व पशुपालकों में मजबूत पकड़ है। जिसका लाभ इस चुनाव में मिल सकता है।
रामचंद्र चौधरी को जिले में सचिन पायलट के समर्थकों को मनाने की जरूरत पड़ेगी, यदि समय रहते पायलट समर्थक नही माने तो इसका प्रतिकूल परिणाम भुगतना पड़ सकता है। रामचंद्र चौधरी को डैमेज कंट्रोल करने की जरूरत पड़ेगी तो वही भागीरथ चौधरी को 25 दावेदार जो बीजेपी से टिकट मांग रहे थे उनको एक जाजम पर लाने की आवश्यकता पडेगी।
तो वहीं जानकारों की मानें तो इस बार लोकसभा चुनाव में अजमेर जिले के जाट मतों का विभाजन होगा तो निर्णायक भूमिका में लोकसभा क्षेत्र के ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य, गुर्जर, रावत, दलित, मुस्लिम मतदाताओं के हाथ में जीत की चाबी होगी? क्योकि अजमेर लोकसभा सीट पर किसी भी एक जाति का बाहुल्य नही है। पिछली बार 2019 के चुनाव में जाट मतदाता एकमुश्त बीजेपी के पक्ष में मतदान किया था। इस बार इन वोटों का विभाजन होगा।
राष्ट्रीय मुद्दे इस चुनाव में भी हावी रहेंगे, जिसमें राष्ट्रवाद, राम मंदिर, तीन तलाक, बेरोजगारी, महंगाई, धारा 370, सीएए के साथ-साथ नेताओं के एक दूसरे पर मुख जुबानी हमलें भी सुनाई और दिखाई देंगे।
अजमेर लोकसभा क्षेत्र में 19 लाख 86 हजार 966 मतदाता अपना सांसद 26 अप्रैल को चुनेंगे तो वही दो जाटों की जंग का फैसला 4 जून को होगा।