अजमेर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस और भाजपा की ओर से उम्मीदवार चयन की औपचारिक रुप से प्रक्रिया अभी शुरु नहीं हुई है लेकिन अंदरखाने इसके लिए नाम जरुर तलाशे जा रहे हैं। अजमेर लोकसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए दोनो मुख्य पार्टीयां ऐसे मजबूत नामों को तलाश रही हैं जो पार्टी को चुनावी जीत दिला सके।
यूं तो अजमेर में भाजपा अपने आप को मजबूत मान कर चल रही है क्यों के यहां उसके आठ में से सात विधायक हैं जिनमें दो कैबिनेट मंत्री है। चूंकि भाजपा आलाकमान राज्य की सभी 25 लोकसभा सीटों को जीतना चाहता है इसलिए एक एक सीट उसके लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए अजमेर उसका गढ होते हुए भी यहां ढील नहीं देना चाहता। जानकारों की मानें तो भाजपा से पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया को अजमेर से लोकसभा चुनाव लडाने की कवायद चल रही है। सतीश पूनिया के लिए अजमेर अनजाना क्षेत्र नहीं है और जिले में चार लाख से अधिक जाट वोट होने के कारण सतीश पूनिया का नाम यहां फिट बैठ रहा है। अपने प्रदेश अध्यक्ष बने रहने के कार्यकाल के दौरान सतीश पूनिया कई बार अजमेर आ चुके हैं और उनके समर्थकों का खासी संख्या जिले में है। यह और बात है कि भाजपा की अंदरुनी गुटबाजी में वसुंधरा राजे फैक्टर सतीश पूनिया के लिए बाधा बन सकता है। वसुंधरा राजे की लोकप्रियता जिले में कहीं ज्यादा है।
वैसे देखा जाए तो अजमेर से भाजपा किसी भी जाने या अनजाने चेहरे को उम्मीदवार बना दे, कोई फर्क पडने वाला नहीं है क्योंकि लोकसभा चुनाव भी भाजपा प्रधानमंत्री मोदी के नाम और चेहरे पर ही लडेगी। विधानसभा चुनाव भी मोदी के नाम पर ही लडा और जीता गया है। इसलिए भाजपा के लिए उम्मीदवार का चयन इतना उलझा नहीं होना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से लोकसभा के चुनाव के लिए उम्मीदवारों की लंबी फेरहिस्त है। कांग्रेस अजमेर से किस जाति के उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारेगी उसी जाति के उम्मीदवार का नाम मौजूद है। जैसे ब्राहमण जाति को उतारेगी तो रघु शर्मा या उनके पुत्र सागर शर्मा दावेदार है। गुर्जर के रुप में बडा नाम सचिन पायलेट का अभी अंदरखाने चल भी रहा है। सचिन पायलेट अभी टोंक से विधायक हैं लेकिन कांग्रेस आलाकमान उनसे केन्द्र में काम लेना चाहती है इसलिए संभव है कि अजमेर से सचिन पायलेट को सांसद के लिए टिकट दे। सचिन पायलेट पूर्व में अजमेर सांसद रह चुके हैं और अजमेर में उनका दबदबा भी है। अजमेर में अनुसूचित जाति के भी चार लाख के लगभग वोटर हैं, उस हिसाब से डॉ राजकुमार जयपाल और हेमंत भाटी की दावेदारी है। विधानसभा चुनाव में डॉ जयपाल ने द्रोपदी कोहली के लिए मेहनत भी की थी। हेमंत भाटी सचिन पायलेट के भरोसे हैं। अजमेर लोकसभा क्षेत्र में दूदू शामिल है जहां जाट मतदाता है। इस हिसाब से जिले और दूदू के जाट मतदाताओं को मिला लें तो वे भी चार लाख से अधिक हैं। जाट उम्मीदवार के रुप में रामचन्द्र चौधरी, रामस्वरुप चौधरी, नाथूराम सिनोदिया के नाम हैं।
विधानसभा चुनाव के कुछ ही दिन पूर्व साध्वी अनादि सरस्वती ने भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस का दामन थामा था। अनादि सिंघी समुदाय से हैं और साध्वी होने के कारण सभी जातियों में उनका सम्मान और समर्थक हैं। ऐसे में उनका नाम भी सामने आ सकता है।
कुल मिलाकर कांग्रेस में उम्मीदवार की तस्वीर साफ होना बाकी है। लेकिन कांग्रेस को लोकसभा में अतिरिक्त दमखम लगाना होगा और पूरे जिले की आठों विधानसभा क्षेत्रों में मिले भाजपा से एक लाख मतों के अंतर को पाटने के लिए कार्यकर्त्ताओं को मेहनत करनी होगी।