जयपुर- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बरतते हुए बच्चों व व्यस्कों में होने वाले मम्पस (mumps disease) संक्रामक रोग के प्रसार पर नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए गाइडलाइन जारी की है। वर्तमान में कुछ क्षेत्रों में मम्पस रोग के कुछ केसेज सामने आए हैं। गले में दर्द, सूजन व अन्य शारीरिक कमजोरी के लक्षणों वाले इस रोग पर यथासमय नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती शुभ्रा सिंह के निर्देश पर चिकित्सा विभाग ने यह गाइडलाइन जारी की है।
Guidelines issued for control of mumps disease
निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों तथा प्रमुख चिकित्सा अधिकारियों को गाइडलाइन के तहत आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किये हैं। उन्होंने बताया कि मम्पस एक संक्रामक रोग है जो कि संक्रमित व्यक्ति द्वारा खांसने अथवा छींकते अथवा लार के माध्यम से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति तक आसानी से फैलता है। इसके नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए मम्पस संक्रमण के लक्ष्णों की पहचान, बचाव व शीघ्र चिकित्सकीय उपचार-परामर्श आवश्यक है।
निदेशक जनस्वास्थ्य ने बताया कि मम्पस संक्रमण के मुख्य लक्षणों में गले में लार ग्रंथि में 1 से 3 दिनों तक दर्द, सूजन साथ ही मांसपेशियों में दर्द व सूजन एवं भूख में कमी शामिल हैं। इन लक्षणों के महसूस होते ही रोगी को तुरंत नजदीकी चिकित्सालय में उपचार-परामर्श लेने की सलाह दी जाती है। डॉ. रवि ने बताया कि मम्पस संक्रमण से बचाव के लिए एक स्वस्थ व्यक्ति को ऐसे लक्षणों वाले व्यक्ति से उचित दूरी बनाये रखना आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि मम्पस रोग संक्रमण के लक्षण रोगी के सम्पर्क में आने के बाद 2 से 3 सप्ताह में प्रकट होते हैं एवं 10 से 14 दिनों तक रोगी को प्रभावित करते हैं। उन्होंने बताया कि इस रोग के होने पर रोगी में अंडकोष, स्तन, मस्तिष्क, अंडाशय, अग्नाश्य, रीढ़ की हड्डी में सूजन हो सकती है। साथ ही, असाधारण स्थितियों में कुछ दुर्लभ केसेज में बहरापन की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। उन्होेंने मम्पस संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति को अन्य व्यक्तियों से दूरी बनाये रखने एवं घर पर विश्राम करने की अपील की है।