साहब हमेें तो झोपडें में ही रहना है, क्योंकि हमे तो दो वक्त की रोटी का जुगाड यही से होता है!

Sir, we have to live in the hut only, because this is how we manage to get two meals a day!

Sir, we have to live in the hut only, because this is how we manage to get two meals a day!

अजमेर- साहब हमें तो झोपडे में रहना है, क्योंकि हमारा तो रोजी रोटी का जुगाड यही से होता है, ये बात हम नही कर रहे, यह दर्द उन लोगों का है, जिनको अब यह डर सता रहा है कि कई उनकी झोपडियां खाली न करवा दे। ब्यावर रोड स्थित हजारी बाग व जीसीए के बाहर फुटपाथ पर झाडू बनाने वाले परिवारों का है। क्योंकि यह शनिवार को अजमेर जिला कलेक्ट्रेट के बाहर पहुंचे और कहने लगे की हमारे पास एक महिला अधिकारी को फोन आया और उन्होंने कहा कि अभी तक आप लोगों ने झोपडियां खाली नही की। इन लोगों का कहना है कि हम यहां करीब 50 साल से झोपडियों में रह रहे और झाडू बनाकर अपना जीवन यापन कर रहे है। अगर हमें यहां से खदेड दिया जाएगा तो हमारे सामने जीवन यापन का संकट खडा हो जाएगा।