अजमेर- अजमेर सहित जिलेभर में महिलाओं और युवतियां ने गणगौर(Gangaur in Ajmer) का पूजन श्रद्धा व उत्साह के साथ किया। लोकगीत सुनाए। धुलंडी के दूसरे दिन से शुरू हुए पूजन का उद्यापन सोलह दिन बाद हो रहा है।
चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से यानी धुलंडी के अगले दिन से ही गणगौर पूजन शुरू हो गया था। घर-घर ईसर व पार्वती का पूजन परंपरा के अनुसार किया जाता रहा। यह पूजन 16 दिन तक किया जाता है। चैत्र कृष्ण शुक्ल तृतीया को इसकी समाप्ति हुई।
Gangaur in Ajmer
ईशर-गणगौर की पूजा अर्चना कर परिवार में खुशहाली की कामना
गणगौर पूजन करने वाली महिलाएं व छोटी बच्चियां बाग-बगीचों से पाती (सेवरा) लेकर आई व गणगौर के गीत गाते हुए पूजन किया। यह पूजा कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए जबकि सुहागिन महिलाएं सुहाग की लंबी आयु व सुख-समृद्धि की कामना को लेकर पूजन करती हैं। अजमेर सहित जिलेभर में महिलाएं और युवतियां सिर पर कलश लेकर जल लेने पहुंच रही हैं।
कलश और लोटे में मोगरे, गुलाब, गेंदे के फूल, घास को विशेष ढंग से सजाया गया है। बैंड बाजों की स्वर लहरियों और ढोल-ढमाकों पर नृत्य भी कर रही है घरों में ईसर-गणगौर की सामूहिक पूजा-अर्चना की जा रही है। माता पार्वती को सुहाग की वस्तुएं अर्पित कर बड़ों से आशीर्वाद भी लिया।