आम चुनाव के अप्रत्याशित रिजल्ट के क्या है मायने !!

अजमेर: 23 जून 2024

लोकसभा चुनाव 2024 अप्रत्याशित परिणाम एक नये बदलाव का संकेत देश में हाल ही में लोकसभा की 543 सीटों पर सात चरणा में मतदान हुआ और गत चार जून को चुनाव परिणामों की घोषणा हुई, जो अप्रत्याशित रूप से चौंकाने वाला ही नहीं, बल्कि देश के सभी न्यूज़ चैनलों के एक्जिट पोल अनुमान से कई अधिक विपरीत साबित हुई। सत्ता पक्ष के लिए यह परिणाम उनके अनुमान के अनुसार तो थे ही नही, बल्कि यह भी मुश्किल हो गया कि भारतीय जनता पार्टी  पिछले चुनावों के सम्मान खुद अपने निर्वाचित सांसदों की संख्या को बहुमत यानि 272 तक भी नही ला सकी और 240 सीटों पर सिमट कर रह गई।

केंद्र में सरकार बनाने के लिए एनडीए के घटक दलो का सक्रिय सहयोग आवश्यक हो गया, बड़े सहयोगी दलों के रूप में तेलगुदेशम 16 सांसदों के साथ व जनता दल यूनाइटेड 12 के साथ सरकार में शामिल हुए साथ ही छोटे-छोटे घटक दलों को भी सरकार में शामिल करना बीजेपी की मजबूरी हो गई। इस गठबंधन सरकार के भविष्य को लेकर कई कयास लगाए जा रहे है, लेकिन फिलहाल यह दिखाई देता है कि यह सरकार देश को एक मजबूत नेतृत्व देकर आगे बढ सकेगी।

आइये अब बार के चुनावों के अप्रत्याशित परिणामों का विश्लेषण करके यह जानने का प्रयास करते है कि क्या कारण रहे, जो सभी एजिक्ट पोल अपनी पुरानी विश्वसनीयता के विपरीत परिणाम आने पर सवालों के घेरे में आ गए। वहीं राजनीतिक दलों के अपने सर्वे अनुमान और परिणाम उम्मीद पर खरे नहीं उतरे, इतना ही नही जहां विपक्ष का गठबंधन ईवीएम को लेकर हमले की तैयारी पर था। एकाएक परिणाम देखकर विश्वास करने लगा और अपनी राजनैतिक वापसी से प्रफुल्लित हो गया। देश के कुछ प्रमुख राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से आए परिणाम सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों के लिए चौंकाने वाले ही नहीं रहे। बल्कि वहां नया नैरेटिव भी स्थापित कर गए। प्रमुख राजनीतिक दलों जैसे भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, शिवसेना, डीएमके आदि ने अपने स्तर पर चुनाव प्रचार में रैली, रोड शो, सभा व जनसंपर्क के जरिए मतदाताओं को साधने का कार्य किया, वही यह भी जरूरी हो गया कि उनके इन प्रयासों के साथ जनता का क्या रिस्पॉन्स चुनावो में वोट के रूप में परिवर्तित होकर उनके पक्ष में रहा या नही रहा। क्या चुनाव प्रचार के माध्यम जो बहुत सालों से प्रचलित है वह आज भी असरदार सार्थक और वांछित परिणामों के रूप में राजनीतिक दलों को उपलब्ध हो रहे है।

भारतीय जनता पार्टी का लक्ष्य प्रधानमंत्री मोदी ने निर्धारित किया ‘‘ अबकी बार 400 पार’’ यह नारा पूरे देश में लगाया गया और यह लोगों के दिलों ओर दिमाग तक काफी हद तक पहुंचा, मोदी को 400 पार की आवश्यकता किस लिए ? यह भारतीय जनता पार्टी पूरे चुनाव प्रचार काल में स्पष्ट नही कर पाई।

नतीजा यह हुआ कि विपक्ष को इस पर मनन कर अपनी ही व्याख्या बना लेने का अवसर और समय मिल गया, हालांकि पूरे देश में विपक्ष इस मुद्दे को सम्मान रूप से अपने पक्ष में नही बुना सका, लेकिन उत्तर भारत के कुछ महत्वपूर्ण राज्यों में वहां की स्थानीय जनता और नेताओं के बीच एक विशेष प्रकार विस्पर केम्पैन यानि अंद्रूनी नरेटिव चला जो प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं दिया और इसी संवाद के जरिए यह उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसे आपस में सटे हुए राज्यों में सफल रहा और इसका जनता में व्यापक असर हुआ। जो एग्जिट पोल के सभी अनुमानों को खारिज करते हुए सत्ताधारी दल के लिए आत्मघाती सिद्ध हुआ। इन प्रमुख राज्यों में क्या कारण रहे उसका विश्लेषण आगे वाले भाग में आपको दिखाया जाएगा। 

   

(शरद शर्मा-लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार)

नोट: लेखक के निजी विचार है।