एमडीएस यूनिवर्सिटी में “गुरु वंदन कार्यक्रम” आयोजित
अजमेर : 29 जुलाई 2024
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ इकाई महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के द्वारा बृहस्पति भवन सभागार में गुरु वंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महाराज श्री श्याम शरण देवाचार्य श्री श्री जी महाराज जो थे। किस कार्यक्रम की अध्यक्षता महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर अनिल कुमार शुक्ला जी द्वारा की गई। इस कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर अरविंद परीक द्वारा किया गया प्रोफेसर अरविंद परीक ने निंबर के संप्रदाय की प्रधान पीठ पर आचार्य श्री के बारे में संक्षेप में जानकारी देते हुए बताया कि आचार्य श्री श्री जी महाराज निंबार्क संप्रदाय के उन 49 वें आचार्य हैं। आचार्य श्री जी का आगमन विश्वविद्यालय परिसर में 2:27 पर हुआ माननीय कुलपति जी व आचार्य श्री जी द्वारा द्वीप प्रज्वलंकर सरस्वती वंदना की गई तत्पश्चात उन्होंने आसन ग्रहण किया कुलपति जी द्वारा माल्यार्पण कर आचार्य श्री श्री जी महाराज का स्वागत किया गया
तत्पश्चात कुल सचिव महोदय द्वारा आचार्य जी को पुष्प अर्पण किया गया कार्यक्रम में अन्य अतिथियों के रूप में आदरणीय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हरिवंश बहादुर सिंह जी, क्षेत्रीय शिक्षण संस्थान अजमेर से एसपी शर्मा तथा अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अतिरिक्त राष्ट्रीय महामंत्री श्री नारायण लाल जी गुप्ता व प्रदेश महामंत्री प्रोफेसर बिस्सू जी पधारे। प्रोफेसर अरविंद परीक द्वारा आए गए अतिथि गणों का अभिनंदन किया तथा आचार्य श्री जी को आशीर्वचन के लिए आग्रह किया। आचार्य श्री जी ने सर्वप्रथम कुलपति जी शिक्षक अतिथिगण व सभी छात्र-छात्राओं का धन्यवाद ज्ञापन किया। आचार्य श्री जी ने अपने व्याख्यान के अंदर शिक्षा गुरु दीक्षा गुरु के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि जीवन में परम विवेक के लिए शिक्षा विद गुरु का आवश्यक है। आचार्य श्री जी ने बताया कि जीवन में एक ज्ञानवान पुरुष का तथा किसी एक बुद्धिजीवी का आगमन हो तो वह जीवन का सबसे अच्छा समय होता है
आशीर्वचनों के अंत में आचार्य श्री जी ने सभी के लिए मंगल कामना की कथा समाज व राष्ट्र के हित में कार्य करने का आग्रह किया। कार्यक्रम के अंत में सभी ने शांति वंदना की आचार्य श्री आचार्य जी ने बताया कि राजस्थान का सबसे पुरातन महाविद्यालय निंबार्क तीर्थ में स्थापित है। आचार्य जी के उद्बोधन के बाद माननीय कुलपति जी ने अपना उद्बोधन दिया जिसमे उन्होंने जगदगुरुओ के बारे में बताया और श्रीजी के विश्वविद्यालय आगमन पर खुशी व्यक्त की । उन्होंने श्रीजी के सम्मान में कहा की जिस प्रकार पुष्कर एक तीर्थ है उसी प्रकार आप भी एक व्यक्ति नही तीर्थ है साथ ही कहा की आपके कदम यहा आए उससे विश्वविद्यालय भी एक तीर्थ बनने की ओर अग्रसर हो गया है कुलपति जी ने कहा की जिस प्रकार बीज में मिट्टी व पानी का अभाव पूर्ण होने से वास्तविक स्वभाव दिखाई देता है उसी प्रकार विद्या मैं भक्ति का अभाव पूर्ण होने से संस्कृति दिखाई देती है
व्याख्यान के अंत में अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ की तरफ से प्रो. सुभाष चंद्र और प्रो. नारायण चंद्र व प्रो. एस. के. बिस्सु के द्वारा प्रतीक चिन्ह भेंट स्वरूप प्रदान किया । समारोह के अंत में प्रो. शिवदयाल जी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया ।