Tuesday, March 11, 2025
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बाल विवाह की रोकथाम के लिए अजमेर का प्रशासन मुस्तैद

बाल विवाह की रोकथाम के लिए अजमेर का प्रशासन मुस्तैद

 अजमेर : 28 फरवरी 2025

जिला में बाल विवाह की रोकथाम के लिए प्रशासन द्वारा सजगता के साथ कार्य किया जा रहा है। 

 अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार बाल विवाह अपराध है। जिला प्रशासन द्वारा बाल विवाह जैसी कुप्रथा की रोकथाम के लिए अक्षय-तृतीया (आखातीज), पीपल पूर्णिमा जैसे पर्वों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। अन्य सावों पर भी विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाहों के आयोजन की संभावनाएं रहती हैं। इसके लिए आवश्यक है कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए निरन्तर निगरानी रख क्षेत्र में बाल विवाह नहीं होना सुनिश्चित किया जाये। 

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 उन्होंने बताया कि गत वर्षों की भांति बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम एवं तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों एवं अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों, वृताधिकारियों, थानाधिकारियों, पटवारियों, भू अभिलेख निरीक्षकों, ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्रामसेवकों, कृषि पयवेक्षकों, महिला एवं बाल विकास के परियोजना अधिकारियों, पर्यवेक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं, महिला सुरक्षा सखी, शिक्षकों, नगर निकाय के कर्मचारियों, जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्यों, सरपंचो तथा वार्ड पंचो के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार कर, आम जन को जानकारी कराते हुए जनजागृति उत्पन्न कर, बाल विवाह रोके जाने के लिए कार्यवाही की जाएगी। 

 उन्होंने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए समाज की मानसिकता एवं सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाना आवश्यक है। इस संदर्भ में बाल विवाह की रोकथाम के लिए जन सहभागिता व चेतना जागृत करने के लिए कार्य योजना बनाकर कार्य किया जाना आवश्यक है। प्रभावी कार्य योजना के लिए जिला व ब्लॉक स्तर पर गठित विभिन्न सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, महिला सुरक्षा सखी, साथिन सहयोगिनी के कोर ग्रुप को सक्रिय किया जाएगा। ऐसे व्यक्ति व समुदाय जो विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी होते हैं यथा हलवाई, बैण्ड बाजा, पंडित, बाराती, टेंट वाले, ट्रांसपोर्टर इत्यादि से बाल विवाह में सहयोग न करने का आश्वासन लेना और उन्हें कानून की जानकारी दी जाएगी। जन प्रतिनिधियों व प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ चेतना बैठकों का आयोजन किया जाएगा। 

 उन्होंने बताया कि ग्राम सभाओं में सामूहिक रूप से बाल विवाह के दुष्प्रभावों की चर्चा व रोकथाम की कार्यवाही की जाएगी। बाल विवाह रोकथाम के लिए किशोरियों, महिला समूहों, स्वयं सहायता समूहों व विभिन्न विभागों के कार्यकर्ता जैसे-स्वास्थ्य, वन, कृषि, समाज कल्याण, शिक्षा विभागों इत्यादि के साथ समन्वय बैठक आयोजित की जाएगी तथा इनके कार्मिकों को बाल विवाह होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना देने के लिए पाबन्द किया जाएगा। विवाह के लिए छपने वाले निमंत्रण पत्र में वर-वधु के आयु का प्रमाण प्रिंटिंग प्रेस वालों के पास रहे अथवा निमंत्रण पत्र पर वर-वधु की जन्म तारीख प्रिंट किये जाने के लिए बल दिया जाएगा। 

 उन्होंने बताया कि इसके लिए अक्षय तृतीया, पीपल पूर्णिमा जैसे अबूझ सावों पर जिला एवं उपखण्ड कार्यालयों में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाएगा। वे 24 घण्टे क्रियाशील रहेंगे तथा नियंत्रण कक्ष का दूरभाष नं. सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा किया जाएगा। बाल विवाह की रोकथाम के लिए 181 कॉल सेंटर पर तथा पुलिस नियंत्रण कक्ष के 100 नम्बर पर कॉल कर कभी भी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है। विद्यालयों में बाल-विवाह के दुष्परिणामों व इससे संबंधित विधिक प्रावधानों की जानकारी दिये जाने हेतु सभी स्कूलों को निर्देशित किया जाएगा। सामूहिक चर्चा से मिली जानकारी के आधार पर गांव एवं मौहल्लों के उन परिवारों में जहां बाल विवाह होने की आशंका हो, समन्वित रूप से समझाया जाएगा। यदि आवश्यक हो तो, कानून द्वारा बाल विवाह को रोका जाएगा। 

 उन्होंने बताया कि बाल विवाह की सूचना प्राप्त होने पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत कानूनी कार्यवाही की जाएगी। बाल विवाहों के आयोजन किये जाने की स्थिति में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 6 की उप धारा 16 के तहत नियुक्त ’बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी’ उपखंड मजिस्ट्रेट की जवाबदेही नियत की जाएगी एवं जिनके क्षेत्रों में बाल विवाह सम्पन्न होने की घटना होती है, उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।

 

 

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