Saturday, February 22, 2025
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मातृभाषा संरक्षण के संकल्प में राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

मातृभाषा संरक्षण के संकल्प में राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

एमडीएस यूनिवर्सिटी अजमेर में  

आयोजित हुई संगोष्ठी

अजमेर : 21 फरवरी 2025

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के सिंधी शोधपीठ द्वारा अन्तरराष्ट्री मातृभाषा दिवस के अवसर पर एक भव्य राष्ट्रीय संगोष्ठी का बृहस्पति भवन स्थित उपनिषद सभागार में आयोजन किया गया।

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सिंधी अकादमी नई दिल्ली के सचिव डॉ. रमेश एस. लाल ने कहा की भाषा में हमारी संस्कृति की समझ निहित होती है lभाषा हमारी सोच एवं पहचान का प्रतिबिंब होती हैl उन्होंने शुक्रवार को मदस विश्वविद्यालय में सिंधु शोधपीठ के तत्वावधान में बृहस्पति भवन स्थित उपनिषद सभागार में अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रजत जयन्ती वर्ष के मौके पर आयोजित एकदिवसीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किए lउन्होंने कहा की मातृभाषा हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, बाल्यकाल में मातृभाषा के ज्ञान उपरान्त अन्य भाषाओं का ज्ञान आसानी से हो जाता हैl संयुक्त राष्ट्र संघ ने 25 वर्ष पूर्व 21 फरवरी को अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया था आज इसका रजत जयंती वर्ष हम मना रहे हैंl उन्होंने कहा कि भाषाओं का संरक्षण जरूरी हैl हर भाषा की अपनी अहमियत होती हैl उन्होंने सिंधी भाषा के अनेक उदाहरण से अपनी बात को प्रभावी रूप से संगोष्ठी में रखा।

सिंधु शोधपीठ के निदेशक एवं प्राणिशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुभाष चंद्र ने इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कि यूनेस्को द्वारा 25 वर्ष पूर्व इस दिवस की स्थापना का उद्देश्य संपूर्ण विश्व में मातृभाषाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना था। उन्होंने कहा, “मातृभाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं, बल्कि आपसी समरसता, संस्कृति एवं परंपराओं का जीवंत प्रतीक भी है।”

राजकीय कन्या महाविद्यालय अजमेर के संस्कृत विभाग सें विशेषज्ञ के तौर पर उपस्थित डॉ. के. आर. माहिया ने अपने प्रभावशाली वक्तव्य में कहा, “हमें अपनी भाषा को श्रेष्ठ समझना चाहिए, लेकिन अन्य भाषाओं का भी समान सम्मान करना चाहिए।” उन्होंने मातृभाषा में शिक्षा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में संप्रेषण गौरवान्वित होकर करना चाहिए ।

वनस्पति शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. अरविंद पारीक ने नई शिक्षा नीति के संदर्भ में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने वैज्ञानिक शोध पत्र हिंदी में प्रकाशित कर एक नई दिशा प्रदान की है। 

विशेष अतिथि सूरजमल राव ने राजस्थानी और सिंधी भाषाओं के संबंध को रेखांकित करते हुए कहा कि भाषा हमारी संस्कृति, राष्ट्रीयता और आत्मसम्मान का प्रतीक होती है।

प्राणीशास्त्र विभाग के छात्र आकाश लक्ष्यकार ने विभिन्न मातृभाषाओं के महत्व पर अपने विचार रखे।

मंच संचालन शोधार्थी कंचन द्वारा किया गया, धन्यवाद ज्ञापित शोधार्थी शिखा सोनी ने किया।

कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों, कर्मचारियों,शिक्षकों,शोधार्थी और अतिथियों ने मातृभाषाओं के संरक्षण का संकल्प लिया।

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