सृष्टि की प्रथम भाषा है संस्कृत
संस्कृत भारती अजयमेरु विभाग का आवासीय भाषा बोधन वर्ग
अजमेर : 17 जून
भारतीय संस्कृति को जानना है तो संस्कृत भाषा को जानना होगा, भारतीय संस्कृति ने दुनिया को विश्व बंधुत्व का पाठ पढ़ाया है जो कि संस्कृत भाषा की ही देन है। यह न केवल भारत की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है, बल्कि इसकी वैज्ञानिकता, शुद्धता और समृद्धता इसे अद्वितीय बनाती है। यह बात संस्कृत भारती प्रन्यास चित्तौड़ प्रांत के अध्यक्ष महेशचन्द्र शर्मा ने लॉरेंस एण्ड मेयो स्कूल, अजमेर में चल रहे सात दिवसीय आवासीय संस्कृत भाषा बोधन वर्ग में कही। उन्होंने शिविरार्थियों से कहा कि दुनिया के कई देशों में युवा संस्कृत सीख रहे हैं, बड़े-बडे अनुसंधानों में इस भाषा की मदद ली जा रही है। कई देशों के विद्यालयों में संस्कृत सुभाषित पाठ्यक्रम का हिस्सा बन रहे हैं, दुनिया इस बात को मान चुकी है कि संस्कृत सृष्टि की प्रथम भाषा है और अन्य भाषाओं की जननी है। ऋषि मुनियों के गहरे ध्यान से मिली इस भाषा को देववाणी और सुरभारती भी कहते हैं।
आवासीय संस्कृत भाषा बोधन वर्ग के मुख्य अतिथि दिलीप गढवाल ने बताया कि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है आज के आधुनिक युग में इस भाषा का और शास्त्रों का ज्ञान हमारे भारत को प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के सोपान पर अग्रसर कर रहा है। मुख्य वक्ता संस्कृत भारती चित्तौड़ प्रांत के मंत्री परमानन्द शर्मा ने बताया कि संस्कृत भारती संगठन संस्कृत संभाषण को आंदोलन के रूप में जन-जन तक पहुँचाने का कार्य कर रहा है क्योंकि संस्कृत में भारत की आत्मा का निवास करती है और भारत की आत्मा को जीवित रखने के लिए यह संगठन विगत अनेक वर्षों से विश्व भर में कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष लॉरेंस एण्ड मेयो स्कूल के प्रबन्धक उम्मेद सिंह राठौड ने कहा कि संस्कृत संभाषण केवल एक भाषा सीखना नहीं है, यह जीवन को आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक रूप से समृद्ध करने का माध्यम है। हमें अपने दैनिक जीवन में संस्कृत का प्रयोग बढ़ाकर अपने गौरवशाली अतीत से जुड़ने और उसे भविष्य की ओर अग्रसर करने का प्रयास करना चाहिए।
इस अवसर पर संस्कृत भारती अजमेर महानगर शिक्षण प्रमुख हिम्मत सिंह चौहान ने कहा कि इस शिविर में अजमेर सहित सावर, केकडी, पुष्कर, भिनाय, मसूदा, किशनगढ, नसीराबाद, पीसॉंगन आदि स्थानों से आए 115 प्रतिभागी संस्कृत के संरक्षण व संवर्धन के संकल्प के साथ संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
संस्कृत भारती संस्कृत भारती चित्तौड़ प्रांत के कार्यालय प्रमुख भूपेन्द्र सिंह चौहान ने कहा कि शिविर में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिविरार्थी अब अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर संस्कृत संभाषण शिविरों का आयोजन करेंगे तथा संस्कृत भाषा को जनभाषा बनाने में अपना योगदान देंगे।
इस अवसर पर संस्कृत भारती अजमेर महानगर मंत्री वरुण कुमार, शिविर सहसंयोजक गोपालदत्त शर्मा, मुख्य शिक्षक देवराज कुमावत, अजयमेरु महानगर विस्तारक प्रकाश, अखिलेश, भागचन्द, कचरु, दिपांशी, चिराग, पृथ्वीराज, तनु, गौरव, अक्षिता, भावेश, प्रदीप, कुलदीप, ज्ञानसिंह आदि शिक्षक एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे ।