Wednesday, November 5, 2025
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21 अक्टूबर को दीपावली पर्व मनाना शास्त्रोक्त एवं शुभ ?

21 अक्टूबर को दीपावली पर्व मनाना शास्त्रोक्त एवं शुभ ?

किशनगढ़: 19 Oct. 2025

 

214 वर्ष प्राचीन संस्थान बम्बई वाले पंडित श्रीधर शिवलाल जी किशनगढ़ से प्रकाशित प्राचीन श्रीधरी पंचांग एवं कालदर्शक के पंचांगकर्ता पं. आशीष गौड (ज्योतिष रत्न) ने बताया प्राचीन श्रीधरी चण्डांशु पंचांग एवं श्रीधरी कालदर्शक अनुसार कार्त्तिक कृष्ण पक्ष 30 मंगलवार दिनांक 21-10-2025 ई. को दीपावली पर्व शास्त्रोक्त मनाया जायेगा। पंचांग गणितानुसार कार्त्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि दिनांक 20 अक्टूबर को दिवा 03ः45 से प्रारंभ होकर दि. 21 अक्टूबर सायं 05ः55 तक व्याप्त रहेगी। सामान्य नियमानुसार कार्त्तिक कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या में दीपावली पर्व मनाया जाता है।

इस हेतु धर्मशास्त्र वचन यह कि (1) प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को ग्रहण करना चाहिये। द्वितीय स्थिति (2) यदि दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या हो तो दूसरे दिन करना चाहिये। तीसरी स्थिति (3) दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या नही होने पर दूसरे दिन ग्रहण करना चाहिये। चतुर्थ स्थिति (4) प्रथम दिन ही प्रदोष व्यापिनी अमावस्या हो तो प्रथम दिन ही ग्रहण करना चाहिये। पंचम स्थिति (5) प्रथम दिन ही प्रदोष में व्याप्त अमावस्या हो परंतु दुसरे दिन सूर्योदय से लेकर अमावस्या साढ़े तीन प्रहर से अधिक हो तथा प्रतिपदा वृद्धि गामिनी हो अर्थात प्रतिपदा का मान अमावस्या के मान से अधिक हो (अमावस्या का मान 26 घं. 10 मि. एवं प्रतिपदा का मान 26 घं.22 मिनट है) तो प्रथम दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को छोडकर दूसरे दिन ही दीपावली पर्व मान्य होगा। इस वर्ष पांचवी स्थिति निर्मित हो रही है। अतः इस प्रमाण अनुसार दूसरे दिन दिनांक 21 अक्टूबर 2025 को ही दीपावली पर्व मान्य होगा। धर्मसिंधु में पुरूषार्थ चिंतामणी का वचन निम्न है।

एवमुभयत्र प्रदोषव्याप्त्यभावेपि पुरूषार्थ चिंतामणौ तु पूर्वत्रैव व्याप्तिरिति पक्षे परत्र यामत्रयाधिकव्यापिदर्शे दर्शापेक्षया प्रतिवृद्धिसत्वे लक्ष्मी-पूजादिकमपि परत्रैवेत्युक्तम्॥ एतन्मते उयत्र प्रदोषाव्याप्ति पक्षेपि परत्र दर्शस्य सार्धयामत्रयाधिकव्याप्तित्वात्परैव युक्तेति भाति॥ धर्मसिन्धुकार ने इसीलिए इन नियम से निर्णय दिये है ताकि इन स्थितियों में जो भी स्थिति जिस वर्ष बने उसी अनुसार निर्णय किया जावै। अन्यथा ये नियम शास्त्र में क्यों समावेशित करते। अतः हमें शास्त्र के निमयों निर्णयों के आधार पर ही सनातन व्रत पर्वो कों करने का शास्त्र निर्देश है।

यस्तु- “अपरो प्रकर्तव्यं श्राद्धं पितृपरायणै:। प्रदोष समये राजन् कर्तव्या दीपमालिका” इति क्रम:॥* अर्थात् इसी दिन पितृकार्ये अमावस्या है, अत: पितृ देवता का पूजन, धूप आदि करने के पश्‍चात् श्री महालक्ष्मीजी का पूजन करना चाहिये। यहां पितृ देवता के पूजन से तात्पर्य प्रात: अभ्यंग स्नान, देवपूजन एवं अपराह्न में पार्वण पितृ देवता हेतु लिखा है। यदि दीपावली एक दिन पूर्व मान्य की जावे तो देव पूजन, पार्वण श्राद्ध आदि महालक्ष्मी पूजन के बाद होगें जोकि शास्त्रोक्त नही है। धर्मशास्त्रानुसार महालक्ष्मी पूजन, दीपावली पर्व का निर्णय दि. 21 अक्टूबर 2025 ई. को ही शास्त्रोक्त मान्य रहेगा। भारत के 90 प्रतिशत दृश्य गणितागत पंचांगों में 21 अक्टूबर 2025 को ही दीपावली एवं महालक्ष्मी पूजन दिया गया है। शोशल मीडिया के भ्रामक प्रचार से भ्रमित ना होवें।

 

प्रालेपन गादी स्थापना /स्याही भरना- कलम दवात संवारने हेतु शुभ मुहूर्त्त- प्रातः 09.33 से 10ः58 तक चंचल वेला समगतिक मान्य, दिवा 10ः58 से 01ः47 तक लाभ-अमृत वेला, दिवा 12ः00 से 12ः45 तक अभिजित वेला, दिवा 03ः11 से 04ः36 तक शुभ वेला, सायं 07ः35 से 09ः10 तक लाभ वेला, रात्रि 10ः45 से 01ः55 तक शुभ अमृत वेला। श्री पूजन गोधूलि प्रदोष वेला सायं 06ः00 से 08ः33 रात्रि पर्यन्त।

 

श्री महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त्त-  वृषभ लग्न स्थिर संज्ञक – सायं 07ः25 से रात्रि 09ः22 तक। सिंह लग्न स्थिर संज्ञक – मध्य रात्रि 01ः53 से 04.08 तक।

प्रकारांत से पूजन मुहूर्त्त (परिहार समाधान सूचक)- वृश्‍चिक लग्न – प्रातः 08ः45 से 11ः02 तक। कुंभ लग्न – दिवा 02ः49 से 04ः19 तक।

 

गोवर्धन पूजा/अन्नकूट/बलिपूजा – कार्त्तिक शुक्ल पक्ष 1 प्रतिपदा बुधवार तारीख 22-10-2025 को गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि पूजा करना शास्त्रोक्त रहेगा।

 

भाई दूज/यम द्वितीया/विश्‍वकर्मा पूजा– कार्त्तिक शुक्ल पक्ष 2 द्वितीया गुरूवार ता. 23-10-2025 को भाई दूज-यम द्वितीया-चित्रगुप्त पूजा-विश्‍वकर्मा पूजा मान्य रहेगी।

सभी पाठकों को दीपावली की शुभकामनाऐं।

दि. 21-10-25 की दीपावली
भारतवर्ष के विभिन्न पंचांगों में
1. पंडित श्रीधर शिवलाल का प्राचीन श्रीधरी चंडांशु पंचांग, किशनगढ़
2. श्रीधरी कालदर्शक पंचांग किशनगढ़
3. चामुंडा पंचांग, गुजरात
4. दाते पंचांग, सोलापुर
5. श्री भादवामाता पंचांग, नीमच
6. गृहस्थ दर्पण पंचांग, कलकत्ता
7. सनातन ज्योतिष पंचांग, सुमेरपुर
8. अर्बुद श्री पंचांग, जावाल
9. श्री गणेशमार्तन्ड पंचांग, उत्तराखंड
10. श्री कालचक्र पंचांग, राजोद
11. श्री मेवाड़ विजय पंचांग, उदयपुर
12. श्री जयमार्तंड पंचांग, जयपुर
13. सवाई जयपुर पंचांग, जयपुर
14. ज्योतिष सम्राट् पंचांग, जयपुर
15. राज-पचार पंचांग, पचार शेखावाटी
16. अखिल भारतवर्षीय पंचांग, जयपुर
17. ज्योतिष सम्राट् कालदर्शक
18. किशोर जंत्री, जयपुर
19. किशोर कालचक्र, जयपुर
20. गुरु-धाम पंचांग, सालासर
21. गुरु धाम कालदर्शक, सालासर
22. छ: न्याति कालदर्शक, बीकानेर
23. श्रोत्रिय पंचांग, जयपुर
24. श्री सिद्धेश्वर पंचांग उज्जैन
25. मगभास्कर पंचांग ग्वालियर
26. दैवज्ञ प्रबोध पंचांग
27. श्री साकेत पंचांग बूंदी
28. श्री साकेत जंत्री बूंदी
29. श्री नैना देवी पंचांग अमलोह पंजाब
30. श्री बद्रिकाशी पंचांग अशोक नगर
31. श्री ताराप्रसाद दिव्य पंचांग उत्तराखंड
32. पप्पी पंचांग, दिल्ली
33. श्रीमार्तण्ड पञ्चाङ्ग, पंजाब
34. Bbs सिद्धांति पंचांग हैदराबाद
35. Indrakanti Vari Panchang Kadappa
36. सिया भवानी पंचांग सागर MP
37. कैलाश पंचांग हरियाणा
38. कालनिर्णय पंचांग मुंबई
39. स्वामी समर्थ पंचांग मुंबई
40. महालक्ष्मी पंचांग कोल्हापुर
41. स्वामी समर्थ गादी पंचांग मुंबई
42. मुंबई समाचार गुजराती पंचांग
43. राजंदेकर पंचांग नागपूर
44. श्रीहरी कालदर्शक पंचांग अजमेर
45. सोमण पंचांग ठाणे
46. शताब्दी पंचांग मुंबई
47. मार्वल कालदर्शक, जयपुर
48. रस्तोगी कालदर्शक, अजमेर
49. राम कालदर्शक, हरियाणा
50. श्री राघवेन्द्र पञ्चाङ्गम्, जम्मू
51. पंचांग दिवाकर, जालन्धर, पंजाब

 

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